कर्मचारियों की हुंकार में बिजली- पानी को तरसे लोग

जागरण संवाददाता उरई निजीकरण के विरोध में

By JagranEdited By: Publish:Mon, 05 Oct 2020 11:19 PM (IST) Updated:Mon, 05 Oct 2020 11:19 PM (IST)
कर्मचारियों की हुंकार में बिजली- पानी को तरसे लोग
कर्मचारियों की हुंकार में बिजली- पानी को तरसे लोग

जागरण संवाददाता, उरई : निजीकरण के विरोध में विद्युत कर्मचारी आर-पार के आंदोलन पर आमादा हो गए हैं। सोमवार को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले कर्मचारियों ने पूर्ण हड़ताल पर रहते हुए अधीक्षण अभियंता कार्यालय में धरना दिया। कर्मचारी पूरे जिले की विद्युत सप्लाई बंद न कर सकें, इसके लिए पावर हाउस में पुलिस का पहरा रहा। कर्मचारियों के हड़ताल पर रहने की वजह से लाइनों में हुए फाल्ट सहीं नहीं किए जा सके। जिसकी वजह से शहर के कई मोहल्लों में पूरे दिन बिजली नहीं आयी, जिससे पेयजल आपूर्ति भी प्रभावित हो गई।

अधीक्षण अभियंता कार्यालय परिसर में सोमवार को समस्त अभियंता, टैक्नीशियन एवं कर्मचारियों ने हड़ताल पर रहते हुए धरना दिया। संबोधित करते हुए इं. पुरुषोत्तम सिंह ने कहा कि निजीकरण न सिर्फ कर्मचारियों के लिए नुकसानदायक है बल्कि गरीब, किसानों समेत हर वर्ग के लिए घातक है। क्षेत्रीय उपाध्यक्ष जगदीश वर्मा ने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र का निजीकरण किया गया तो कर्मचारी किसी भी हद तक आंदोलन करने के लिए तैयार है। किसी भी सूरत में निजीकरण की नीति को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। संघर्ष समिति के संयोजक गौरव कुमार ने कहा कि ऊर्जा मंत्री के साथ हुए समझौते के विपरीत प्रबंधन जानबूझकर कर्मचारियों पर निजीकरण थोप रहा है। प्रदर्शन के दौरान संजय कुमार, एके मौर्य, अभिषेक सोनकर, रामू गुप्ता, उमाशंकर राजपूत, सुमित साहू, मोहनकृष्ण, कुसुमलता, भावना सिंह, मोहित, संजीव, सत्येंद्र सिंह, दीपक संजय आदि मौजूद रहे।

कई मोहल्लों में ठप रही बिजली :

निजीकरण के विरोध में विद्युत विभाग के कर्मचारियों की हड़ताल से आमजन को भारी परेशानी का सामने करना पड़ा, मोहल्ला राजेंद्र नगर में करीब पांच घंटे बिजली नहीं नहीं आयी, सुबह 7 बजे ही लाइट कट गई थी। मोहल्ला लहारियापुरवा में तो पूरे दिन बिजली नहीं आई। इस मोहल्ले में नलकूप से सीधे पेयजल की आपूर्ति होती है, लेकिन बिजली नहीं आने के कारण नलकूप नहीं चला जिसके चलते पेजयल के लिए भी लोग परेशान रहे। स्नान तक नहीं कर पाए। यही स्थिति मोहल्ला रामनगर, तुलसी नगर, इंदिरा नगर एवं पटेल नगर में देखने को मिली। पूरे जिले की विद्युत सप्लाई बंद न हो जाए लिए मुख्य पावर हाउस एवं उप केंद्रों पर सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए थे।

निजीकरण के विरोध पर कर्मचारियों के तर्क

ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण के बाद पूंजीपतियों को ही फायदा होगा, सबसे अधिक चोट आम जनता पर पड़ने वाली है। निजी कंपनियां मुनाफा कमाने के लिए आएंगी सब्सिडी समाप्त हो जाएगी और किसी भी उपभोक्ता को दस रुपये प्रति यूनिट से कम की बिजली नहीं मिलेगी।

- रामू गुप्ता निजीकरण के बाद 3 साल तक निजी कंपनियों को सारा पैसा सरकार देगी और 3 साल में ग्रामीण क्षेत्रों के फीडरों को अलग कर उन्हें सोलर्राइज कर दिया जाएगा अर्थात ग्रामीण क्षेत्रों में ट्यूबवेल की बिजली सोलर पैनल से चलेगी और निजी कंपनियों को ग्रामीण क्षेत्र में इस प्रकार कोई घाटा नहीं होगा क्योंकि ट्यूबेल को बिजली देकर घाटा उठाने की उनकी जिम्मेदारी नहीं होगी।

- सुमित साहू

यह रहीं हैं प्रमुख मांगें :

- निजीकरण की दिशा में कोई भी निर्णय न लिया जाए

- वेतन विसंगति को दूर किया जाए

- विभाग में इंजीनियरों एवं कर्मचारियों का नियतन पूरा किया जाए

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