इलास्टिक के खिचाव से कान में हो रहा दर्द, बढ़ रही परेशानी
जागरण संवाददाता उरई कोरोना काल में सर्वाधिक बिक्री मास्क की हुई। ऐसे में घरों में महिलाओं ने मास्क बनाए। मेडिकल स्टोर ही नहीं हर छोटी-बड़ी दुकान में मास्क बिकते दिखे। ये मास्क वरदान साबित हुए और लोग कोरोना के कहर से बचे रहे लेकिन कुछ समस्याएं भी हुई हैं। अक्सर आपने लोगों को थोड़ी-थोड़ी देर में मास्क उतारते देखा होगा। नाक कान गला रोग विशेषज्ञ बीपी सिंह बताते हैं कि इलास्टिक के खिचाव की वजह से कान में दर्द होने की समस्या लोग आ रहे है। ऐसे में जरूरत है कि मास्क को पीछे की तरफ बांधा जाए। नहीं तो इससे अब समस्या उत्पन्न होने लगी है।
जागरण संवाददाता, उरई : कोरोना काल में सर्वाधिक बिक्री मास्क की हुई। ऐसे में घरों में महिलाओं ने मास्क बनाए। मेडिकल स्टोर ही नहीं हर छोटी-बड़ी दुकान में मास्क बिकते दिखे। ये मास्क वरदान साबित हुए और लोग कोरोना के कहर से बचे रहे लेकिन कुछ समस्याएं भी हुई हैं। अक्सर आपने लोगों को थोड़ी-थोड़ी देर में मास्क उतारते देखा होगा। नाक, कान गला रोग विशेषज्ञ बीपी सिंह बताते हैं कि इलास्टिक के खिचाव की वजह से कान में दर्द होने की समस्या लोग आ रहे है। ऐसे में जरूरत है कि मास्क को पीछे की तरफ बांधा जाए। नहीं तो इससे अब समस्या उत्पन्न होने लगी है।
हालांकि फेस मास्क कोविड 19 के खिलाफ एक जरूरी हथियार रूप में काम किया। लेकिन अब मानक के अनुरूप मास्क को पहने की जरूर है। ऐसे मास्क पहने जिसमें इलास्टिक की जगह पीछे की तर बांधा जा सके। उनका यह भी कहना है कि मास्क में लगा इलास्टिक कान को तेड़ा कर दे रहा है। साथ ही नाजुक जगह होने के नाते कट भी जा रहे है। रोजाना 10 से 15 लोग शिकायत लेकर आ रहे है। इसलिए जरूरी है कान की समस्या को देखते हुए मास्क को पहना जाए। वहीं कुछ लोग पतले कपड़े या पट्टी से बने मास्क को साइज के हिसाब से लेकर पहन रहे। इससे थोड़ा लोगों को कम समस्या हो रही है। श्वसन तंत्र संबंधी हर बीमारियों को फैलने से रोकता मास्क
वर्तमान समय में मास्क को बस कोविड से जोड़कर देखा जा रहा है, जबकि मास्क न सिर्फ कोविड बल्कि श्वसन तंत्र से संबंधित उन सभी बीमारियों को फैलने से रोकता है, जो खांसने या छीकने के जरिये निकले ड्रोपलेट्स से फैलती है। क्षयरोग विशेषज्ञ डा. सुग्रीव बाबू बताते हैं कि अक्सर टीबी के मरीजों को हम खांसते समय मुंह पर कपड़ा रखकर खांसने की सलाह देते हैं, जबकि यदि टीबी से संक्रमित मरीज मास्क का प्रयोग करने लगे तो टीबी के प्रसार को कई हद तक रोका जा सकता है। मास्क के प्रकार
1-कोविड.19 कपड़े के मास्क
2-मेडिकल मास्क
3-रेस्पिरेटर मास्क (एन95 और एन 99) ऐसे बचाता मास्क
कपड़े के मास्क मोटे कणों को सांस के साथ बाहर जाने से रोकते हैं, और छोटे कणों के प्रसार को भी सीमित करते हैं। कई परतों वाला कपड़े का मास्क सांस से निकलने वाले कणों को 50 से 70 प्रतिशत तक फिल्टर कर लेता है। कपड़े के मास्क की प्रभावशीलता विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है जैसे कि कपड़े का प्रकार, परतों की संख्या और मास्क का चेहरे पर फिट। मोटे कपड़े से बना कम से कम तीन परतों वाला कपड़े का मास्क पहनना सबसे उपयुक्त माना गया है। कोट
आम लोगों को कपड़े के मास्क जब कि कोविड 19 उपचाराधीनों, उच्च जोखिम वर्ग के लोगों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को मेडिकल या रेस्पिरेटर मास्क पहनने की सलाह दिया जा रहा है।
डा. डी नाथ, प्राचार्य राजकीय मेडिकल कालेज