धर्मेंद्र ने विधवा रेनू को बनाया सुहागिन

संवाद सूत्र महेबा सदियों पुरानी रूढि़वादी परंपरा को दरकिनार करके युवा धर्मेंद्र ने बेवा रेनू से विवाह रचाकर जीवन संगिनी बना लिया। युवा के इस निर्णय से समाज को नई दिशा मिली है। इसके पहले क्षत्रिय समाज में विधवा विवाह है अभिशाप माना जाता था। एक समय था कि समाज की रूढि़वादी परंपरा के कारण शादी के खेमा है या एक साल बाद पति की मौत हो जाने पर पत्नी को सारी जिदगी विधवा जीवन गुजारना पड़ता था।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 05:01 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 05:01 PM (IST)
धर्मेंद्र ने विधवा रेनू को बनाया सुहागिन
धर्मेंद्र ने विधवा रेनू को बनाया सुहागिन

संवाद सूत्र, महेबा : सदियों पुरानी रूढि़वादी परंपरा को दरकिनार करके युवा धर्मेंद्र ने बेवा रेनू से विवाह रचाकर जीवन संगिनी बना लिया। युवा के इस निर्णय से समाज को नई दिशा मिली है। इसके पहले क्षत्रिय समाज में विधवा विवाह है अभिशाप माना जाता था।

एक समय था कि समाज की रूढि़वादी परंपरा के कारण शादी के खेमा है या एक साल बाद पति की मौत हो जाने पर पत्नी को सारी जिदगी विधवा जीवन गुजारना पड़ता था। चार दशक पहले तो क्षत्रिय समाज में ऐसी रूढि़वाद था कि 14 वर्ष की उम्र में शादी हो जाती थी 5 या 7 वर्ष बाद गोना होता था। इस बीच अगर पति की मौत हो गई तो भी पत्नी को दूसरी शादी रचाने की अनुमति नहीं थी। इस परंपरा को तोड़ने के लिए युवा आगे आ रहे हैं। रूरा निवासी प्रधान नरेंद्र सिंह के पुत्र धर्मेंद्र सिंह ने बोहदपुरा निवासी करण सिंह की बेवा पुत्री रेनू से मुसमरिया के सोहाकर मंदिर परिसर में शादी रचाकर रेनू की मांग में सिदूर भरकर उसे अपना जीवनसंगिनी बना लिया। जिसकी क्षत्रिय समाज में प्रशंसा की। रेनू की शादी 11 साल पहले रूरा अड्डू निवासी वीरपाल सिंह के पुत्र पवन सिंह के साथ हुई थी। पवन सिंह ने उरई निवास में खुद गोली मारकर 2011 में आत्महत्या कर ली थी। समाज के लोकलाज के भय से रेनू बेवा जीवन गुजार रही थी। धर्मेंद्र ने रेणु का हाथ थामकर दांपत्य जीवन का अवसर दिया है। इस मौके पर सुरेंद्र सिंह, सुदामा सिंह, डॉ. नवाब सिंह, रामकुमार सिंह, समर सिंह मौजूद रहे।

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