सांसत में मरीजों की जान, अफसर बन रहे अनजान
फोटो संख्या 8 से 11 तक तस्वीर एक जिला अस्पताल में 800 लीटर क्षमता की 25 टंकियां रखी हु
फोटो संख्या : 8 से 11 तक
तस्वीर एक :
जिला अस्पताल में 800 लीटर क्षमता की 25 टंकियां रखी हुई हैं। जिनकी सफाई 11 दिसंबर 2019 को की गई थी। साथ ही अगली सफाई की तारीख 11 मई 2020 तय की गई थी,लेकिन जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं। पानी की टंकियों में कीड़े-मकोड़े के साथ कई जानवर भी मरे मिल रहे हैं। बुधवार को एक टंकी में दो गिलहरी मरी हुई पाई गईं है। यह दूषित पानी मरीज के साथ तीमारदार भी पी रहे हैं। तस्वीर दो :
जिला अस्पताल में बॉयोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर इमरजेंसी के बगल कचरा घर बनाया गया है। यह कचरा घर हमेशा खुला रहता है। ऐसे में यहां जानवर घुस जाते हैं। इस वजह जानवर इनफेक्टेड हो जाते हैं। फिर वह विचरण करते हैं तो अपने गंदे खून को चारों तरफ छोड़ जाते हैं। जो लोगों के लिए घातक साबित हो सकता है। फिर भी बॉयोमेडिकल वेस्ट को लेकर अधिकारी गंभीरता नहीं दिखा रहे है। यहां बॉयोमेडिकल कचरा भी इधर -उधर बिखरा रहता है।
तस्वीर तीन :
जिला अस्पताल के प्लास्टर रुम में बॉयोमेडिकल वेस्ट के लिए लाल, काली व पीली डस्टबिन में कचरा डालने के बजाए जमीन पर पड़ा मिला। यहां भी जिला अस्पताल प्रबंधन की संजीदगी कहीं भी देखने को नहीं मिली। कायाकल्प टीम आए दिन लोगों को स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरुक करती है लेकिन इसका अनुपालन जिला अस्पताल में ही नही है।
तस्वीर चार :
जिला अस्पताल के वार्डों में बेड की चादरें रोजाना बदलने के आदेश हैं। लेकिन यहां भी सिर्फ बदहाली ही देखने को मिली है। मरीज गंदे चादर पर लेटा नजर आया। मरीज ने शिकायत किया कि यहां चादरें नहीं बदली जा रही हैं। इससे मरीज ठीक होने के बजाए इंफेक्टेड हो रहे हैं।
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- जिला अस्पताल में स्वच्छता का हाल
- कागजी बाजीगरी दिखा रहा स्वास्थ्य महकमा शिवम सिंह , उरई : यह चार तस्वीरें जिला अस्पताल की महज बानगी मात्र हैं, जो यह बता रहीं है कि जिला अस्पताल में कोरोना काल में स्वास्थ्य प्रबंधन आखिर कितना संजीदा है। जिले में जहां कोरोना से मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है वहीं संक्रमितों की संख्या भी तीन हजार के ऊपर है। आम लोगों को जागरुकता का संदेश देने वाला स्वास्थ्य महकमा ही बेपरवाह है । बुधवार को दैनिक जागरण ने महकमें की इसी बेपरवाही को नजदीक से देखकर अपने कैमरे में कैद किया।
कालाकल्प अवार्ड भी बेमानी :
अस्पताल परिसर में स्वच्छता के नाम पर जिला अस्पताल हर साल कायाकल्प अवार्ड भी पाता है। यह अवार्ड भी इनकी व्यवस्थाओं का मजाक है। कारण है अस्पताल की मार्किंग होती है, अधिकारी अस्पताल का निरीक्षण कर जायजा लेते हैं, और कमियों को बताते हैं। जिससे परिसर की स्वच्छता बनी रहे। इसके बाद भी यहां सिर्फ कागजी बाजीगरी दिखाई गई है।
स्वछता कर्मियों की फौज, फिर भी गंदगी :
जिला अस्पताल की सफाई व्यवस्था के संचालन के लिए सफाई कर्मचारियों की लंबी फौज है इसके बावजूद यहां सिर्फ कागजी घोड़ा दौड़ाया जा रहा है। सरकारी और संविदा मिलाकर यहां करीब 25 सफाई कर्मियों की टीम है। महीने में पांच लाख रुपये से ज्यादा सिर्फ सफाई के नाम पर खर्च किया जाता है।