घरों में कैद होकर रह गया बच्चों का बचपन
जागरण संवाददाता उरई बीते वर्ष कोरोना काल में हर कोई घर में ही कैद रहा। इस बार भ
जागरण संवाददाता, उरई : बीते वर्ष कोरोना काल में हर कोई घर में ही कैद रहा। इस बार भी उसी तरह का हाल है। सबसे अधिक बच्चों को परेशानी है। कहीं आ जा नहीं सकते हैं। स्कूल कॉलेज भी नहीं खुल रहे। उनका बचपन घर में कैद होकर रह गया है। युवा तो फिर भी अपने मन को किसी न किसी तरह से समझा लेते हैं, लेकिन छोटे बच्चे परेशान हो रहे हैं। घर में ही परिवार के सदस्यों के साथ कैरम, लूडो खेलकर अपना समय व्यतीत कर रहे हैं।
वर्ष 2020 में मार्च के महीने से कोरोना काल शुरू हुआ। संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने स्कूल-कॉलेज सब बंद कर दिए। काम धंधे भी बंद जिससे हर कोई घर में कैद होकर रह गया। एक हिसाब से देखा जाए तो पूरा साल निकल गया और बच्चों की पढ़ाई तक नहीं हो सकी। ऑनलाइन जरूर कुछ पढ़ाई कराई गई। छात्र-छात्राएं और बच्चे कोरोना काल में अधिक परेशान रहे। इस बार लोगों ने सोचा भी न था कि वैसे ही हालात बन जाएंगे। फिर से कोरोना का संक्रमण बढ़ा तो सबकुछ थम सा गया। बच्चे फिर घर की चाहरदीवारी में बंद हो गए। सामान्य समय में तो स्कूल जाना, सहपाठियों से मिलना, शादी विवाह में परिवारी जनों के साथ जाना इससे उनका समय कट जाता था। दिन कैसे बीत जाते थे पता ही नहीं चलता, लेकिन फिर से उनको एक जगह रहना पड़ रहा है। बीटेक प्रथम वर्ष की छात्रा उन्नति प्रजापति ने कहा कि कोरोना संक्रमण बढ़ा तो घर आ गए। एल्ड्रिच स्कूल में पढ़ने वाली कक्षा 12 की छात्रा प्रगति ने कहा कि सहपाठियों से फोन पर ही बात हो पाती है। एक जगह रहने से जी ऊब जाता है। कक्षा सातवीं के छात्र रिषभ प्रजापति ने कहा कि मम्मी, पापा, दीदी के साथ दिन में खेल लेते हैं। दीदी कुछ देर पढ़ा देती है। स्कूल नहीं जा पा रहे हैं।