ग्रामीण परिवेश में जीवित है बुंदेली संस्कृति

जागरण संवाददाता उरई हमारा बुंदेलखंड एवं बुंदेली संस्कृति अनूठी है। ग्रामीण परिवेश में

By JagranEdited By: Publish:Sun, 28 Nov 2021 07:42 PM (IST) Updated:Sun, 28 Nov 2021 07:42 PM (IST)
ग्रामीण परिवेश में जीवित है बुंदेली संस्कृति
ग्रामीण परिवेश में जीवित है बुंदेली संस्कृति

जागरण संवाददाता, उरई: हमारा बुंदेलखंड एवं बुंदेली संस्कृति अनूठी है। ग्रामीण परिवेश में बुंदेली संस्कृति जीवित है। कितु आधुनिक समय में शहरों में यह संस्कृति विलुप्ति की कगार पर है। ऐसे में मित्र मंडल द्वारा की जा रही पहल सराहनीय है। यह बात 15वें मित्र महोत्सव में जिला पंचायत अध्यक्ष डा. घनश्याम अनुरागी ने कहीं।

सांस्कृति धरोहर प्रचार प्रसार एवं समाज सुधार समिति के तत्वावधान में 21 फुटा हनुमान मंदिर के पास आयोजित दो दिवसीय 15वें मित्र महोत्सव की शुरुआत हुई है। कार्यक्रम में एनसीसी कैडेट्स एवं स्काउट गाइड व दिवारी टीमों द्वारा ध्वज फहराकर एवं मार्च पास्ट कर सलामी दी गई। उवैश बरकाती ने स्काउट प्रार्थना कर एकता और भाईचारे का संदेश दिया। उत्तर भारत के प्रसिद्ध रंगकर्मी पं. पूरनचंद्र मिश्र की स्मृति में आयोजित मित्र महोत्सव में जिला पंचायत अध्यक्ष घनश्याम अनुरागी ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन से बुंदेली संस्कृति को निश्चित ही बढ़ावा मिलेगा। ब्लॉक प्रमुख रामराजा निरंजन ने कहा कि बुंदेली संस्कृति के संरक्षण की आवश्यकता है। वह इसी प्रकार के आयोजनों को बढ़ावा देकर हो सकता है। कार्यक्रम आयोजक सुशील कुशवाहा ने विभिन्न लोक विधाओं को बढ़ावा देने की पहल की आवश्यकता बताई। दो दिवसीय कार्यक्रम में पहले दिन जिला स्तरीय दिवारी नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें औरेखी, नैनापुरा, कुसमिलिया, चुर्खी टीम ने भाग लिया। दिवारी प्रतियोगिता में कुसमिलिया को प्रथम तथा नैनापुरा को द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ। कार्यक्रम का संचालन पं. प्रयाग नारायण द्विवेदी, राजकुमार मिझौना ने संयुक्त रूप से किया। इस मौके पर चेयरमैन गिरीश गुप्ता, शशिकांत द्विवेदी, ओमशंकर कुशवाहा, सतीश सेंगर, गौरीश द्विवेदी, राजू यादव, वीर सिंह यादव, वीरेंद्र आचार्य, सोमिल याज्ञिक, नईम खां, परवेज, अंचल कुशवाहा सहित कई लोग मौजूद रहे।

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