सर्वे के बाद आज तक रेलवे लाइन बिछने का इंतजार

संवाद सहयोगी जालौन भारतीय रेल के मानचित्र पर आने के लिए नगर बीते 120 वर्षों से बाट जोह रहा है। स्वतंत्रता के 73 वर्षों में भी क्षेत्र की यह मांग भी आंदोलनों व आश्वासनों के बाद अधूरी पड़ी हुई है। सांसद के केंद्रीय मंत्री बनने से एक बार उम्मीद जगी है कि उनकी बहु प्रतीक्षित मांग पूरी हो जाए।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 07:59 PM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 07:59 PM (IST)
सर्वे के बाद आज तक रेलवे लाइन बिछने का इंतजार
सर्वे के बाद आज तक रेलवे लाइन बिछने का इंतजार

संवाद सहयोगी, जालौन : भारतीय रेल के मानचित्र पर आने के लिए नगर बीते 120 वर्षों से बाट जोह रहा है। स्वतंत्रता के 73 वर्षों में भी क्षेत्र की यह मांग भी आंदोलनों व आश्वासनों के बाद अधूरी पड़ी हुई है। सांसद के केंद्रीय मंत्री बनने से एक बार उम्मीद जगी है कि उनकी बहु प्रतीक्षित मांग पूरी हो जाए।

1901 में तैयार हुई कोंच-एट रेलवे लाइन को अंग्रेजी हुकूमत के अधिकारी कोंच से दिबियापुर तक ले जाना चाहते थे जिससे नगर जालौन भी भारतीय रेल के मानचित्र पर आ सके, जिसका उल्लेख 1901 के जालौन गजेटियर में भी किया गया है लेकिन दो विश्व युद्ध व स्वतंत्रता आंदोलन के चलते कोंच की यह रेलवे लाइन आगे नहीं बढ़ पाई तथा जनपद के नाम से जाने वाला नगर अभी भी भारतीय रेल के मानचित्र से गायब है। नगर को भारतीय रेल के नक्शे पर लाने के भाजपा के पूर्व नगर अध्यक्ष वाचस्पति मिश्रा, श्रवण कुमार श्रीवास्तव, अन्नी मित्तल, केसी पाटकार, योगेंद्र राठौर ने क्षेत्रीय सांसद व केंद्रीय मंत्री भानु प्रताप वर्मा से दिल्ली में भेंट कर जनता की मांग को याद दिलाया। प्रतिनिधिमंडल की मांग पर केंद्रीय मंत्री ने भी आश्वासन दिया है कि उनकी रेलवे लाइन की मांग को पूरा कराने का हर संभव प्रयास किया जाएगा। मंत्री के आश्वासन के बाद उम्मीद जगी है कि क्षेत्र की जनता को रेल सुविधा मिल जाए। जालौन से निकलने वाली तीन लाइनों का हो चुका है सर्वे

रेलवे ने 69 किमी लंबी कोंच-उरई वायां जालौन रेल पथ बनाने के लिए 2008 में सर्वे कराया था। वर्ष 2012 में राठ, महोबा, भिड बाया जालौन की 218 किमी तथा 2014 में 89.68 किमी कोंच, जालौन, फफूंद रेलवे मार्ग का सर्वे करा चुका है। रेलवे द्वारा 12 वर्ष से सर्वे ही कराया जा रहा है। सरकार द्वारा बजट न मिलने से सर्वे रिपोर्ट विभाग के धूल खा रही है। रेलवे लाइन की मांग को लेकर 65 दिन चला था आंदोलन

रेल लाओ स्वाभिमान बचाओ संघर्ष समिति के तत्वावधान में रेलवे के धूल खा रहे सर्वे रिपोर्टों की स्वीकृति व नगर से होते हुए रेलवे लाइन निकलने के लिए मार्च 2016 से मई 2016 तक तहसील गेट के सामने 65 दिन तक अनशन के रूप में आंदोलन चल चुका है तथा 5 मार्च 2016 को विशाल मशाल जुलूस निकाला जा चुका है जिसमें मिला जनसमर्थन ने राजनीतिक दलों की नींद उड़ा दी थी। आश्वासन दिलाया याद

भानु प्रताप वर्मा ने अपने पिछले कार्यकाल में नगर में चल रहे आंदोलन के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए 7 अप्रैल 2016 को क्षेत्र की जनता को आश्वस्त किया था कि वह जालौन नगर को रेलवे लाइन से जोड़ने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। आंदोलन समाप्त होते ही वह अपना आश्वासन भूल गए हैं तथा नई पारी मिलने के बाद भी वह 65 दिन के आंदोलन को भूलने लगे थे। अब जब सांसद केंद्रीय मंत्री बन गए हैं तो नगर के प्रतिनिधिमंडल मंडल ने सांसद को उनकी घोषणा याद दिलायी तो उन्होंने भी पूरा करने का आश्वासन दे दिया। प्रथम रेल मंत्री भी दे गए थे आश्वासन

स्वतंत्र भारत के प्रथम रेल मंत्री लालबहादुर शास्त्री 1956 में विधानसभा चुनाव के पूर्व जालौन नगर में आए थे तथा सब्जी मंडी परिसर में आयोजित एक जनसभा में लोगों की मांग पर आश्वासन दे गए थे। वह नगर को रेलवे लाइन से जोड़ देगें। नगर का दुर्भाग्य ही था कि उन्होंने नवंबर 1956 में हुई रेल दुर्घटना के बाद पद छोड़ दिया जिसके बाद जनता की मांग आज तक अधूरी रह गई।

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