आखिर क्यों जलाई गई थीं नगर पालिका की पत्रावलियां !
जागरण संवाददाता उरई नगर पालिका जालौन में निकले भ्रष्टाचार के जिन्न ने सरकारी अमले में अफरा- तफरी मचा दी है। करोड़ों के विकास कार्यों में गड़बड़झाले और वित्तीय अधिकारों के दुरुपयोग जैसे आरोप यूं ही नहीं लगाए गए हैं। धुआं उठा है तो आग जरूर लगी है और अगर आग नहीं लगी तो पालिका के समक्ष एक यक्ष प्रश्न है कि आखिर नगर पालिका ने पुराने रिकार्ड और पत्रावलियां क्यों जलवाई थीं।
जागरण संवाददाता, उरई :
नगर पालिका जालौन में निकले भ्रष्टाचार के जिन्न ने सरकारी अमले में अफरा- तफरी मचा दी है। करोड़ों के विकास कार्यों में गड़बड़झाले और वित्तीय अधिकारों के दुरुपयोग जैसे आरोप यूं ही नहीं लगाए गए हैं। धुआं उठा है तो आग जरूर लगी है, और अगर आग नहीं लगी तो पालिका के समक्ष एक यक्ष प्रश्न है कि आखिर नगर पालिका ने पुराने रिकार्ड और पत्रावलियां क्यों जलवाई थीं। इस सवाल का जवाब देने के पहले ही पालिका के जिम्मेदार बगले झांक रहे हैं। जांच कमेटी की जांच में यह अहम सवाल सबसे ऊपर है। यह बात और है कि जांच में कितनी पारदर्शिता जिले के अफसर दिखाएंगे। कुछ अहम सबूत मिटाने के लिए जलाए गए दस्तावेज आखिर किसके कहने पर जलाए गए थे।किसने दस्तावेजों को जलाने की अनुमति दी थी, उन दस्तावेजों में कौन से सरकारी कामों की गणना थी.आदि आदि ऐसे कई सवाल भी उछल कूद करेंगे।
जालौन नगर पालिका के ईओ डीडी सिंह भ्रष्टाचार के आरोपों के साथ शिकंजे में हैं। शासन स्तर से अनेकों लिखापढ़ी के बाद वह कार्रवाई की जद में हैं। यह बात और है कि उन्हें हटाने के लिए शासन के मंत्री तक की नहीं चल सकी। पालिका के सभासद ललित अग्रवाल ने उनके खिलाफ मोर्चा खेल दिया है। आरोप- प्रत्यारोपों के बीच सबसे अधिक चर्चा में नगर पालिका के दस्तावेजों को जलाने की है। नगर पालिका के चेयरमैन गिरीश गुप्ता ने सफाई देते हुए बताया कि जब दस्तावेज जलाए गए थे तो उन्होंने ईओ से इसका कारण पूछा था तो उन्होंने बताया था कि इसकी अनुमति उच्चाधिकारियों से ली गई थी। उधर ईओ डी डी सिंह ने बताया कि दस्तावेज वर्ष 2002 के थे। मेरे कार्यकाल से संबंधित नहीं थे। अत्यंत जीर्ण- शीर्ण होने के कारण यह जलाए गए हैं। लगाए गए आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद हैं। - फोटो संख्या : 29