फर्ज के आगे त्याग दिया परिवार का मोह
जागरण संवाददाता उरई ऊपर वाले की कृपा पर तो सब निर्भर है। उसकी मर्जी के बिना पत्ता भी
जागरण संवाददाता, उरई : ऊपर वाले की कृपा पर तो सब निर्भर है। उसकी मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिल सकता है। पर धरती में भी भगवान होते हैं इस बात को सच साबित किया है कोरोना काल में तमाम चिकित्सकों ने। जिन्होंने संकट के समय अपने फर्ज को प्राथमिकता दी। परिवार के मोह को आड़े नहीं आने दिया। ऐसे ही चिकित्सक दंपती हैं कदौरा सीएचसी के प्रभारी डॉ. अशोक चक व उनकी पत्नी। जिन्होंने अपने आठ माह के बच्चे को सास के सहारे छोड़कर लोगों की सेवा की।
कानपुर के केशव नगर निवासी डॉ. चक कदौरा में सीएचसी प्रभारी हैं। जबकि उनकी पत्नी साधना सिंह कानपुर के मरियमपुर अस्पताल में कंसलटेंट हैं। कोरोना काल शुरू होने के पहले इनको बेटा हुआ जिसकी उम्र महज ढाई माह की थी। जबकि बड़ा बेटा अरनव सात वर्ष का है। कोरोना काल शुरू हुआ तो इनके माता-पिता अपने पैतृक गांव में थे। डॉ. साधना की माता जरूर अपनी बेटी से मिलने के लिए आई थीं जो लॉकडाउन के चलते घर नहीं लौट सकीं। इस दौरान पति पत्नी ने अपने कर्तव्य को समझते हुए अपनी ड्यूटी को प्राथमिकता दी। डॉ. चक तीन माह तक अपने घर नहीं जा सके। जबकि उनकी इच्छा होती थी कि वे अपने बेटों से मिलें। पर उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को पहले समझा और लगातार मरीजों की सेवा में लगे रहे। दूसरी ओर कानपुर में उनकी पत्नी निर्बाध रूप से अपनी सेवाएं अस्पताल को देती रहीं। जब समय मिलता तो फोन पर ही डॉ. चक व बच्चों से हालचाल ले लेती थीं। ऐसे लोगों को धरती का भगवान कहना गलत नहीं होगा। संकट के समय जिन लोगों ने पूरे देश व समाज को अहमियत दी न कि अपने परिवार को।