अनुसूचित जाति उत्पीड़न के 49 मुकदमे, 41 लाख मुआवजा

शिव कुमार जादौन उरई अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लोगों के साथ होने वाली आपराधिक घटनाओं में मुकदमा दर्ज करने के साथ ही मुआवजा दिए जाने का प्राविधान है। मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस द्वारा समाज कल्याण विभाग में रिपोर्ट भेजी जाती है। जिससे नियमानुसार पीड़ित को मुआवजा मिल सके।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 08:11 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 08:11 PM (IST)
अनुसूचित जाति उत्पीड़न के 49 मुकदमे, 41 लाख मुआवजा
अनुसूचित जाति उत्पीड़न के 49 मुकदमे, 41 लाख मुआवजा

शिव कुमार जादौन , उरई : अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लोगों के साथ होने वाली आपराधिक घटनाओं में मुकदमा दर्ज करने के साथ ही मुआवजा दिए जाने का प्राविधान है। मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस द्वारा समाज कल्याण विभाग में रिपोर्ट भेजी जाती है। जिससे नियमानुसार पीड़ित को मुआवजा मिल सके। अनुसूचित जाति उत्पीड़न निवारण अधिनियम के आशय का मुख्य पहलू यह भी है कि पीड़ित पक्ष की न्याय के लिए कानूनी लड़ाई आर्थिक तंगी की वजह से कमजोर न पड़े। जिले में एक साल के भीतर 49 मुकदमों में 41 लाख रुपये का मुआवजा समाज कल्याण विभाग के निर्गत हुआ है।

पिछले साल रेंढ़र थाना क्षेत्र में रंजीत नाम के अनुसूचित जाति के व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में मुकदमा दर्ज होने के बाद मृतक की पत्नी आरती को पहली किश्त में चार लाख रुपये व आरोप पत्र दाखिल होने के बाद चार लाख की दूसरी किश्त भी निर्गत हो गई है। छेड़खानी, दुष्कर्म व अपहरण में सर्वाधिक मुआवजा :

अनुसूचित जाति वर्ग की महिलाओं के साथ दुष्कर्म, अपहण, छेड़खानी एवं लज्जा भंग जैसे मामलों को संवेदनशीलता से लेते हुए पुलिस अधिकारियों को तत्काल रिपोर्ट प्रेषित करने का आदेश दिया गया है। लापरवाही होने पर जांच अधिकारी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किए जाने का प्राविधान है। उरई कोतवाली क्षेत्र के दो गांवों से अनुसूचित जाति की दो युवतियों के अपहरण व दुष्कर्म के अपराधों में मुकदमा दर्ज होने व आरोप पत्र दाखिल होने के बाद पुलिस विभाग द्वारा समाज कल्याण विभाग को रिपोर्ट प्रेषित की गई है। दो-दो लाख की दो किश्तें दोनों मामलों में पीड़िताओं को प्रदान की गई है। यह है कानूनी प्रावधान

अनुसूचित जाति उत्पीड़न से जुड़े मामले में एक किश्त मुकदमा दर्ज होने के बाद दी जाती है। समाज कल्याण विभाग में आख्या के साथ एफआइआर की कॉपी भेजी जाती है । दूसरी किश्त कोर्ट में चार्जशीट लगाने के बाद जबकि तीसरी किश्त तब मिलेगी जब मुकदमा का फैसला आ जाए। लेकिन अस्सी फीसद मामलों में तीसरी किश्त की नौबत नहीं आयी। कई बार पीड़ित ने कोर्ट में समझौता कर लिया। कई बार कोर्ट में आरोपित साक्ष्यों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया गया। आरोपित के दोषमुक्त होने की स्थिति में मुआवजा ले चुके व्यक्ति से धनराशि की रिकवरी करने का कोई नियम नहीं है। कोट

अनुसूचित जाति उत्पीड़न से जुड़े 49 मामलों की आख्या से पुलिस विभाग से आई थी। शत फीसद निस्तारण कर दिया गया है। एक भी फाइल लंबित नहीं है।

लालजी यादव, जिला समाज कल्याण अधिकारी अनुसूचित जाति उत्पीड़न से संबंधित मुकदमों की विवेचना सीओ द्वारा की जाती है। सभी को निर्देशित किया गया है कि आख्या भेजने में विलंब न किया जाए।

रवि कुमार, पुलिस अधीक्षक अनुसूचित जाति उत्पीड़न के मामले

हत्या -01

अपहरण -02

मारपीट -46

कुल धनराशि -41 लाख रुपये

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