संस्कारशाला-राष्ट्र के उत्थान में ही अपनी उन्नति
सार्वजनिक संपत्ति का हमें हमेशा सम्मान करना चाहिए क्योंकि यह संपत्ति देश की संपत्ति है और यह हमारे टैक्स से बनती है।
हाथरस : सार्वजनिक संपत्ति का हमें हमेशा सम्मान करना चाहिए, क्योंकि यह संपत्ति देश की संपत्ति है और यह हमारे टैक्स से बनती है। जो देश सार्वजनिक संपत्ति का सम्मान नहीं करते, उस देश की जीडीपी का स्तर गिरता जाता है, जिससे देश की आर्थिक स्थिति के सुधार के लिए सरकार को कर्ज लेना पड़ता है। कर्ज न चुकाने पर देश में आपातकाल की स्थिति पैदा हो जाती है। ऐसा तभी होता है जब नागरिकों में राष्ट्रीय भाव का अभाव हो। जब हम राष्ट्र भाव से जीते हैं तब राष्ट्र और उसकी संपत्ति की रक्षा के लिए जान की बाजी लगा देते हैं।
सार्वजनिक संपत्ति के सम्मान के लिए के बारे में हमें स्कूल, कालेजों व अन्य शिक्षण संस्थान में पाठ पढ़ाना चाहिए। अध्यापकगण को कथा में सार्वजनिक संपत्ति के सम्मान के बारे में बताना चाहिए और उन्हें यह भी बताना चाहिए कि कोई भी देश का नागरिक, जो अपने देश की सार्वजनिक संपत्ति का सम्मान नहीं करते हैं, वह देश के विकास की मुख्यधारा से पिछड़ते चले जाते हैं। सार्वजनिक संपत्ति के सम्मान के लिए हमें प्रतियोगिता, पोस्टरों की सहायता से युवा वर्ग को जागरूक करते हुए बताना चाहिए कि जिस देश के नौजवान सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित नहीं करते, वह देश ज्यादा ताकतवर नहीं होता है।
वर्तमान में नागरिक अधिकारों व प्रजातंत्र के नाम पर तमाम लोग ऐसे व्यवहार का प्रदर्शन करते देखे जाते हैं जिससे देश की सरकारी संपत्ति को भारी नुकसान पहुंच रहा होता है। राजनीतिक रूप के देश के नागरिक 'भारत बंद' या 'प्रदेश बंद' अथवा फिर 'शहर बंद' का नारा लगाते हैं और छोटी-छोटी समस्याओं को लेकर प्रदर्शन करते हैं। वे सड़क जाम कर लोगों को असुविधा में भी डालते हैं। अभी हमारे देश में किसान आंदोलन के नाम पर, सीएए के नाम पर वर्ग, जाति के नाम पर, धर्म के नाम पर व भाषा के नाम पर धरना-प्रदर्शन के बहाने सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया गया था। ऐसे आंदोलनों को सख्ती से प्रतिबंधित करना चाहिए। अंत में मेरा यही कहना है कि यदि हमें अपने देश को आगे बढ़ाना है तो सार्वजनिक संपत्ति को अपनी संपत्ति मानकर काम करना होगा।
-राजकुमार सिंह राठौर, प्रधानाचार्य, राजकमल पब्लिक स्कूल, सिकंदराराऊ