हालमार्क के लिए जाना पड़ेगा आगरा-मथुरा

सोने पर हालमार्क की मुहर का सरकारी सेंटर हाथरस में नहीं है आने-जाने में बीच रास्ते अनहोनी से चितित हैं सराफा कारोबारी।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 05:39 AM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 05:39 AM (IST)
हालमार्क के लिए जाना पड़ेगा आगरा-मथुरा
हालमार्क के लिए जाना पड़ेगा आगरा-मथुरा

जासं, हाथरस : भारत मानक ब्यूरो (बीआइएस) की स्वर्ण आभूषणों पर हालमार्किंग की अनिवार्यता ने ज्वेलरी के कारोबार से जुड़े व्यापारियों को नई मुसीबत में डाल दिया है। हालमार्क के साथ सोने की ज्वेलरी बेचने में यहां के स्वर्णकारों के सामने व्यावहारिक दिक्कतें हैं। यहां पर कोई सरकारी हालमार्क सेंटर न होने से उन्हें जनपद से बाहर मुहर लगवाने के लिए जाना पड़ेगा। लाखों की ज्वेलरी ले जाने और मुहर लगवाकर लाना जोखिम भरा काम है।

50 के पास ही लाइसेंस : सराफा कमेटी के मुताबिक जनपद में शहर और कस्बों को मिलाकर 400 स्वर्णकार हैं। इसमें 50 के पास भारत मानक ब्यूरो का लाइसेंस है। शेष 350 दुकानदारों को मुहर लगवाने लिए सरकारी सेंटर पर निर्भर रहना पड़ेगा। नए नियमानुसार हर स्वर्ण आभूषण पर कैरेट और बीआइएस का निशान जरूरी है। साथ में फर्म का नाम भी होना चाहिए।

आगरा-मथुरा की दौड़ : जनपद में बीआइएस मानक की मुहर लगाने वाला कोई सरकारी सेंटर नहीं है। यहां पड़ोसी जिले मथुरा और आगरा में ही सेंटर है। अलीगढ़ में भी नहीं है। इसलिए जिन स्वर्णकारों के पास बीआइएस का लाइसेंस नहीं है, उन्हें मथुरा और आगरा जाना पड़ेगा। वहां लाखों रुपये की ज्वेलरी ले जाना और वहां से मुहर लगवाकर लाना कठिन काम है। साथ ही वहां मुहर लगवाने के लिए इंतजार करना पड़ेगा। तुरंत मुहर नहीं लगाई जाती है। सीमित सेंटर होने के कारण वहां भी लाइन लगी रहती है। इसके लिए पूरा दिन बीत जाएगा। सर्राफ गोपाल सिघल का कहना है कि यहां पर सेंटर बन जाए तो काम करने में अधिक दिक्कत नहीं होगी।

वारदातों से सहमे स्वर्णकार : ज्वेलरी के कारोबार से जुड़े लोगों के साथ कई बार वारदात हो चुकी है। ऐसे में वे इस बात से सहमे हुए हैं कि आगरा या मथुरा आने-जाने में कोई अनहोनी हो गई तो उनके लाखों रुपये के माल की भरपाई कौन करेगा। इसलिए यहां पर सरकारी सेंटर बनाया जाए।

वीडियो कान्फ्रेसिग में रख चुके हैं मांग : नियम लागू होने से पहले यहां के स्वर्णकारों ने बीआइएस का सेंटर बनाने की मांग अफसरों के सामने वीडियो कान्फ्रेसिग में रखी थी लेकिन अभी तक न सेंटर बना और न ही उनके लाइसेंस बनाने का काम शुरू हुआ। कारोबारियों के लिए नियम लागू करने की समय सीमा तो बढ़ा दी लेकिन हर जनपद में सेंटर बनाने पर ध्यान नहीं दिया। वर्जन

हाथरस में स्वर्ण आभूषणों का बड़ा कारोबार है। उसे देखते हुए यहां भी बीआइएस का सरकारी सेंटर होना चाहिए। हमने बीआइएस का लाइसेंस देने और सरकारी सेंटर स्थापित करने की बात अफसरों के सामने रखी है।

मोहनलाल अग्रवाल सर्राफ, अध्यक्ष, सराफा कमेटी

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