जीवन के लिए जरूरी है जल संचय

वर्षा के जल संचय के लिए बेहतर साधन हैं पोखर प्राकृतिक संसाधनों का भी हमें करना होगा संरक्षण।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Apr 2021 03:22 AM (IST) Updated:Mon, 26 Apr 2021 03:22 AM (IST)
जीवन के लिए जरूरी है जल संचय
जीवन के लिए जरूरी है जल संचय

संवाद सूत्र, हाथरस : सिकंदराराऊ में जीवन के लिए सबसे बड़ी जरूरत को जल ही पूरा करता है। प्रकृति द्वारा प्रदत्त प्राकृतिक और कृत्रिम जल स्त्रोतों में नगर की तमाम पोखरों को विकास की आड़ में पाटकर कॉलोनी बना दी गई हैं। सरकार की पहल पर जल संचय के लिए पोखरों को खोदवाकर उन्हें संजीवनी देने का प्रयास एक सराहनीय कदम है।

कस्बे में एक दशक पहले करीब आठ से अधिक पोखरें थीं। बारिश के दिनों में कस्बे का पानी इन्हीं पोखरों में संचय हुआ करता था। लबालब भरी रहने वाली इन पोखरों से पशु-पक्षियों को पानी मिलता था। किसानों के लिए इनसे फसलों की सिचाई के लिए जल आसानी से मिल जाता था। अब तो अतिक्रमण के चलते इन पोखरों का अस्तित्व ही समाप्त हो गया है। जो शेष बची हैं उन्हें भी अवैध कब्जा कर नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है।

पोखरें बचाती हैं भूजल : पोखरों में जल संचय रहने से स्थानीय भूजल स्तर ऊंचा बना रहता था। इनके सहारे लगे वृक्षों से चारों ओर हरियाली बनी रहने लोगों को शुद्ध ऑक्सीजन मिला करती थी। उस समय पचास फुट पर ही पानी मिल जाता था। अब भूजल स्तर गिरने से पानी भी 150 फुट तक पहुंच गया है। इससे लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अतिक्रमण मुक्त हों तालाब, तो बचेगा जल

बीआरसी के सामने का तालाब 500 मीटर फैला होने के कारण दो भागों में बंटा था। यह तालाब दो भागों में नगला लाला से बारहसैनी मोहल्ला तक फैला हुआ था। नगर क्षेत्र में पुरानी तहसील रोड पर चामुंडा मंदिर के पीछे से कासगंज रोड की ओर फैला एकमात्र तालाब ही बचा है। कस्बा के तालाबों को संरक्षित करने हम आसानी से जल संचय कर सकते हैं। बोले समाजसेवी

तालाबों का जीवन में बड़ा महत्व रहा है। तालाबों के खत्म होने से बड़ा नुकसान हमें उठाना पड़ रहा है। जलस्तर में तेजी से गिरावट आई है। यही हाल रहा तो आने वाले समय में पीने के पानी का संकट झेलना पड़ेगा।

- बबलू सिसौदिया, सिकंदराराऊ। जल जीवन के लिए सबसे जरूरी है। जल संरक्षण के लिए सरकार ने पोखरों को जीवित करने का सराहनीय कार्य शुरू किया है। मनरेगा से उनकी सफाई भी कराई जा रही है। इससे जल संचय को लेकर एक बार फिर आस जगी है।

-मेवाराम बघेल, सिकंदराराऊ।

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