कभी बैलगाड़ी से जाने वाले वोटर अब जाते हैं लग्जरी वाहनों से

पंचायत चुनावों में बदलता जा रहा है स्वरूप फिजूलखर्ची बढ़ी बुजुर्गों में वोट डालने का उत्साह आज भी है कायम।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 05:18 AM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 05:18 AM (IST)
कभी बैलगाड़ी से जाने वाले वोटर अब जाते हैं लग्जरी वाहनों से
कभी बैलगाड़ी से जाने वाले वोटर अब जाते हैं लग्जरी वाहनों से

संसू, हाथरस : सिकंदराराऊ में चुनाव की रणभेरी बजते ही मतदाताओं की सजगता बढ़ने लगी है। समाज का हर वर्ग लोकतंत्र के इस महापर्व में अपनी सहभागिता को लेकर काफी उत्सुक है। 15 अप्रैल को होने वाले मतदान के उस पल का इंतजार कर रहे हैं, जब वे अपने मनपसंद प्रतिनिधि का चुनाव करने के लिए वोट डालेंगे। युवाओं के साथ -साथ बुजुर्गों में भी खासा उत्साह देखा जा रहा है। क्षेत्र में कुछ ऐसे भी बुजुर्ग मतदाता हैं, जो अब तक कई चुनाव के गवाह बन चुके हैं। ये ऐसे मतदाता हैं जो बैलगाड़ी से वोट डालने वालों को देखने अब लग्जरी वाहनों से वोटरों को जाते देख रहे हैं। वर्जन--

मैं अब भी उम्र के इस पड़ाव में निराश नहीं हूं लेकिन वर्तमान के राजनीतिक परि²श्य से चितित हूं। अच्छे राजनेताओं का भी समय आता है। कोरोना काल में वोट डालने को लेकर काफी सजग हूं। मतदान ही नागरिक की असली पहचान है। अपना वोट डालने के लिए सभी को जागरूक होना चाहिए। पुराने समय में आवागमन की परेशानी होने के बावजूद हम लोग उत्साह के साथ वोट डालने के लिए जाते थे। अब लोग जानबूझकर मतदान के प्रति बेरुखी दिखाते हैं।

रामवीर सिंह यादव, सिकंदराराऊ कई पीढ़ी को मतदान करते अपनी आंखों से देखा है। पहले बैलगाड़ी से वोट देने जाना पड़ता था। अब लग्जरी वाहन इस्तेमाल हो रहे हैं। पहले मतदान केंद्र दूर-दूर गांवों में हुआ करते थे। अब लगभग हर गांव में स्कूल बन जाने के कारण मतदान केंद्रों की संख्या भी बढ़ गई है और लगभग हर गांव में मतदान केंद्र हैं। पहले एक ही गांव में कई ग्राम पंचायतों का मतदान केंद्र होता था।

गनेशी देवी, सिकंदराराऊ पहले के चुनाव में आम जनता का भरोसा नेता पर होता था। राजनीति की निष्ठा में वे समर्पित होते थे, लेकिन आज नेता चुनावी सभा में अधिकतर झूठे वायदे करते हैं। पहले जात -पात की राजनीति नहीं होती थी। अच्छे व्यक्ति का चुनाव होता था। हालांकि मतदान के दौरान पहले की तरह बूथ कैप्चरिग की घटनाएं अब नहीं होती, उन पर अंकुश लगा है।

गिरिजाशंकर उपाध्याय, सिकंदराराऊ

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