'..जो भारत में रहनौ है तो वंदेमातरम् गानौ है'
दाऊजी मेले में ब्रजभाषा कवि सम्मेलन के दौरान पं.सुरेश चतुर्वेदी स्मृति पुरस्कार विठ्ठल पारीख को मिला
संवाद सहयोगी, हाथरस : मेला पंडाल में शुक्रवार को अखिल भारतीय ब्रजभाषा कवि सम्मेलन का उद्घाटन पालिकाध्यक्ष आशीष शर्मा ने दीप प्रज्वलित करके किया। ब्रज कवि पं. सुरेश चतुर्वेदी स्मृति पुरस्कार जयपुर के विठ्ठल पारीख को गोपाल चतुर्वेदी ने दिया।
कवि सम्मेलन में अंडला से पधारे मणि मधुकर मूसल ने सुनाया, 'मारै मारै, पीटै पीटै, घर घर करके तुझे घसीटै, तेरा भूत भगा दैंगे हम, मार-मार कर मुक्का, ¨हदुस्तान में क्यों घुस आता बनकर चोर उचक्का।'
मथुरा के छाता से आए श्याम सुंदर अंकिचन ने सुनाया, 'राष्ट्रदोह के मुखरित स्वर कूं, जबरन हमें दबानौ है, जो भारत में रहनौ है तो वंदेमातरम् गानौ है।' जयपुर की कवयित्री डॉ. सुशीला शील ने सुनाया, 'तेरे कौन जनम के भाग, बन्यौ तू ब्रजवासी, काशी प्रयाग कों त्याग बन्यौ तू ब्रजवासी।' मथुरा की सुधा अरोरा ने सुनाया, 'चित्त में दाऊ दादा दिव्यता समाई तोरी, मोकूं झूठी प्रीति अब काहू की न भायेगी।'
आगरा से आए कवि सोम ठाकुर ने सुनाया, 'मेरे भारत की माटी है चंदन और अबीर, सौ-सौ नमन करूं मैं भइया सौ-सौ नमन करूं।' संयोजक पदम अलबेला ने सुनाया, 'बाबा हैं भयभीत, हनीप्रीत की प्रीति में तड़प रहे गुरुमीत।'
जयपुर से आए विठ्ठल पारीख ने सुनाया, 'महंगी है गई सब चीज, लकड़ी गुड़ तेल ही आट कटावै, जावत जावत हाट बजारन जोयत रोयत टटोरत आवै।' गोवर्धन से आए गोपाल गोप ने सुनाया, 'ऊपरै-ऊपरै मुस्कुराओ नहीं, बेवजह दिल काहूं को दुखाओ नहीं।' इसके अलावा हरेपुरा जाट से आए रामखिलाड़ी स्वदेशी, बलदेव से आए राधा गो¨वद पाठक, नरेंद्र शर्मा, डॉ. इंदू शर्मा, राजकुमार रंजन, प्रकाश सृजन, कुंवरपाल उपाध्याय आदि ने भी काव्य पाठ किया। ब्रजभाषा शिरोमणि पंडित उमाशंकर शर्मा ओम स्मृति पुरस्कार कृष्ण कीर्ति संस्थान द्वारा मथुरा के छाता से आए श्याम सुंदर अंकिचन को दिया गया। कवि सम्मेलन में प्रमुख रूप से तहसीलदार रोहिताश, डॉ. अविन शर्मा, अतुल आंधीवाल, राजीव वाष्र्णेय, विद्या सागर विकल, संजय शर्मा, आनंद चतुर्वेदी, अतुल आंधीवाल, गोपाल चतुर्वेदी मौजूद रहे।