आफत की बारिश ने फेरा किसानों के अरमानों पर पानी
खेतों में धान धान की कटी फसल डूबी तो मंडी में भी करीब 150 मीट्रिक टन धान पूरे दिन भीगता रहा तिरपाल की व्यवस्था नाकाफी।
जागरण टीम, हाथरस : रविवार से शुरू हुई बारिश का सिलसिला सोमवार को भी जारी रहा। सुबह से शाम तक बारिश का सिलसिला नहीं थमा था। यह बारिश धान किसानों के लिए तबाही बनकर आई है। खेतों में धान की कटी फसल डूब गई है तो मंडी में व्यवस्था न होने से 150 मीट्रिक टन धान खुले में भीगता रहा। सब्जी की फसलों को भी नुकसान बताया जा रहा है।
इस साल मानसून कुछ ज्यादा ही मेहरबान हो गया है। रविवार से शुरू हुई बारिश सोमवार की रात तक जारी थी। बारिश के चलते लोगों का घरों से निकलना मुश्किल हो गया। सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को हुआ है। सिकंदराराऊ, सादाबाद, सासनी, हसायन, पुरदिलनगर, सहपऊ क्षेत्र में धान किसानों की फसल खेतों में कटी हुई रखी थी। बारिश के चलते फसल पानी में डूब गई। किसानों की मानें तो अभी करीब 40 फीसद फसल खेतों में पड़ी हुई है। मंडी समिति में चारों ओर दिखने वाली भीड़ भी सोमवार को गायब थी। मंडी में धान की फसल खुले में पड़ी थी, जो की भीग गई। कुछ ढेरों पर पालीथिन से बंद करने की कोशिश भी नाकाम साबित हुई। जर्जर टीन शेड भी टपक रहे हैं। उनके नीचे रखी किसानों की फसल उनके सामने ही भीगकर बर्बाद हो रही थी। इनका कहना है
मंडी में सुविधाओं के नाम पर किसानों के लिए कुछ भी नहीं है। अव्यवस्थाओं के चलते नुकसान किसानों को ही झेलना पड़ रहा है।
-विष्णु, किसान बारिश से बचाव का मंडी में कोई साधन नहीं है। टूटे टीनशेड व जर्जर भवन से टपकता हुआ पानी नीचे रखी फसलों को बर्बाद कर रहा है।
- बहादुर सिंह, किसान सरकारी मंडी होने से किसानों को सुविधाएं दिए जाने के दावे किए जाते हैं। बारिश में धान की सैकड़ों क्विटल फसल खुले में पड़ी बर्बाद हो रही है।
-श्याम सिंह, किसान मंडी में सरकार द्वारा प्रदत्त सुविधाएं किसानों को प्रदान की जाती है। बारिश से फसलों को बचाने के लिए खुले गोदाम व चबूतरे बनाए गए हैं। मंडी में आई फसलों को सुरक्षित रखने का प्रयास जारी है।
-यशपाल सिंह, मंडी सचिव