एकजुटता से ही राष्ट्र को मिलेगी ताकत, देश होगा मजबूत

किसी भी राष्ट्र की ताकत उसकी अखंडता में निहित होती है। इतिहास साक्षी है कि जो भी राष्ट्र एवं उसकी जनता बिखरी हुई होती है उस राष्ट्र का वजूद मिट जाता है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 30 Sep 2021 01:17 AM (IST) Updated:Thu, 30 Sep 2021 01:17 AM (IST)
एकजुटता से ही राष्ट्र को मिलेगी ताकत,  देश होगा मजबूत
एकजुटता से ही राष्ट्र को मिलेगी ताकत, देश होगा मजबूत

हाथरस : किसी भी राष्ट्र की ताकत उसकी अखंडता में निहित होती है। इतिहास साक्षी है कि जो भी राष्ट्र एवं उसकी जनता बिखरी हुई होती है, उस राष्ट्र का वजूद मिट जाता है। झाडू की सींकें अगर अलग-अलग हों तो वह कभी भी गंदगी को साफ नहीं कर सकती और वही सींकें जब रस्सी से बांध दी जाती हैं तो वह झाडू बनकर स्वच्छता का उपाय बन जाती हैं। इसी प्रकार जिस राष्ट्र में राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक विखंडता है, वह राष्ट्र विश्व में कभी अपनी पहचान नहीं बना पाता है।

भारत आज संपूर्ण विश्व में विकसित देशों के श्रृंखला में अपने कदम बढ़ा रहा है। आज विश्व में अमेरिका, रूस, जापान, चीन आदि देश इसलिए महाशक्ति के रूप में अवतरित हुए हैं, क्योंकि यहां के जन-समूह ने विखंडित हुए बिना राष्ट्र को ऊंचाइयों तक ले जाने का संकल्प लिया है। यदि हम भारत को विश्व स्तर पर विकासशील देशों की श्रेणी में लाना चाहते हैं तो इसके लिए हमें अपने आपसी मतभेदों को भुलाकर देश की अखंडता के लिए समयबद्ध कार्यक्रम तैयार करना होगा तथा उस पर अमल करना होगा। तभी हम विश्व में भारत का परचम लहरा सकेंगे। देश प्रेम, देश की अखंडता का प्रतीक होता है। एक बार स्वामी दयानंद विदेश यात्रा करते हुए जापान के स्टेशन से गुजर रहे थे। सुबह से शाम तक वे व्रत में थे। शाम को वह सिर्फ फल लेते थे। जापान के स्टेशन पर जब ट्रेन रुकी तो वहां उन्हें फल नहीं मिले। वे काफी बेचैन हो गए। तभी जापान का एक बालक वहां घूम रहा था। उसने स्वामी जी को विचलित होते हुए देखा तो उनसे कारण पूछा। उन्होंने कहा आज मेरा व्रत है और यहां मुझे कहीं फल नहीं मिल रहे हैं। बालक दौड़कर स्टेशन के बाहर आया और फल वाले की दुकान से फल लेकर स्वामी जी के पास पहुंचा। स्वामी जी ने उसे आशीर्वाद दिया। उस बालक ने स्वामी जी से यह प्रार्थना की स्वामी जी भारत जाकर कभी यह मत कहना कि जापान के स्टेशन पर फल नहीं मिलते हैं। जापान के बालक के शब्दों में ही जापान की महानता छिपी है। यदि हमारे भारत का हर व्यक्ति अपने देश से प्रेम करने लगेगा तो निश्चित रूप से भारत की अखंडता सुरक्षित रहेगी। विश्व में हम एक नए भारत की पहचान बना सकेंगे। आज हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता संकट में है। इस स्थिति के लिए सर्वाधिक दोषी हमारे राजनेता हैं। राष्ट की अखंडता को बचाने के लिए सबको बराबर प्रयास करने पड़ेंगे। हमारे देशी शासक भी सत्ता की लोलुपता से अंधे होकर यही नीति अपना रहे हैं। इन्होंने अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए जनता को जाति, धर्म, आरक्षित, अनारक्षित, अगड़े, पिछड़े, अल्पसंख्यक, बहुसंख्यक और प्रादेशिक क्षेत्रीयता के आधार पर बांट दिया है। राष्ट्र के तीन अनिवार्य अंग हैं- भूमि, निवासी और संस्कृति। एक राष्ट्र के दीर्घ जीवन और सुरक्षा के लिए इन तीनों का सही संबंध बना रहना परम आवश्यक होता है। यदि किसी राष्ट्र की भूमि से वहां के राष्ट्रवासी उदासीन हो जाएंगे तो राष्ट्र के विखंडन का भय बना रहेगा।

-स्वतंत्र कुमार गुप्त, डायरेक्टर एमएलडीवी पब्लिक इंटर कालेज हाथरस।

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