हाथरस में सिसक रही खेल के जादूगर की हाकी
एहाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जन्मदिन खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
संवाद सहयोगी,हाथरस: हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जन्मदिन खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारतीय हाकी टीम कई पदक ओलिपिक में जीतकर देश का नाम विश्व पटल पर फहरा चुकी है। इस बार भी टोक्यो ओलिपिक में महिला व पुरुष टीम ने काफी शानदार प्रदर्शन किया। हाथरस जिले में हाकी खेल अपने अस्तित्व को तलाश रहा है। सरकारी तंत्र को सिर्फ खेल दिवस के दिन ही हाकी प्रतियोगिता कराने की सुध आती है। वरना पूरे साल हाकी की स्टिक की आवाज शांत पड़ी रहती है। अगर खिलाड़ियों को सभी सुविधाएं मिलें तो हाथरस से भी भविष्य के ध्यानचंद निकल सकते हैं।
कालेज स्तर पर पीटी जाती है लकीर
सरकार फिट इंडिया के तहत स्कूल व कालेजों में खेल प्रतिभाओं को तलाशने का काम कर रही है, लेकिन कालेजों में हाकी के प्रति विद्यार्थियों में रुचि दिखाई नहीं देती। प्रशिक्षित कोचों का अभाव भी देखने को मिलता है। कई सालों पूर्व बागला इंटर कालेज, के एल जैन सासनी, सरस्वती इंटर कालेज सहित कई टीमें हुआ करती थी। आज के खिलाड़ियों में हाकी को लेकर रुचि नहीं है।
खेल दिवस के दिन ही होते हैं आयोजन
शिक्षण संस्थाओं की बात हो या जिला स्टेडियम की। साल में आयोजकों को खेल दिवस के दिन ही हाकी प्रतियोगिता आयोजित कराए जाने की सुध आती है। इस बार भी जिला स्टेडियम में अंडर 14 बालक वर्ग हाकी प्रतियोगिता का आयोजन जिला स्टेडियम में होगा। इसमें जिले के करीब 10 स्कूलों की टीमें प्रतिभाग करेंगी। शनिवार को जिला स्टेडियम में हाकी प्रतियोगिता की तैयारियों को पूरा करने में कर्मचारी जुटे रहे।
नहीं फैलाई गई जागरूकता
ऐसा नहीं है कि खिलाड़ियों की कमी जिले में हो। तमाम खिलाड़ी प्रशिक्षित कोच व खेल मैदान न होने के कारण दूसरे जिलों में जाकर प्रशिक्षण लेते हैं। यदि हाकी के खेल को लेकर जरा भी गंभीरता दिखाई जाए तो बेहतर परिणाम सामने आ सकते हैं। खेल मैदानों की व्यवस्था सरकारी तंत्र को करनी चाहिए। वहीं, स्टेडियम में आने वाले खिलाड़ियों को जागरूक करना चाहिए।
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खिलाड़ियों के बोल
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फोटो- 25
इस बार टोक्यो ओलिपिक में देश की महिला व पुरुष टीम ने काफी शानदार प्रदर्शन किया है। इससे युवाओं में जोश देखने को मिल रहा है। आशा करता हूं कि हाकी के प्रति नजरिया जरूर बदलेगा।
दिवाकर शर्मा, पूर्व हाकी खिलाड़ी
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जिले में हाकी खेलने के लिए मैदान व प्रशिक्षित कोच का काफी अभाव है। यदि बेहतर कोच व मैदान की व्यवस्था हो जाए। तो खिलाड़ियों को दूसरे जिलों में जाकर अभ्यास नहीं करना पड़ेगा।
पूजा शर्मा, हाकी खिलाड़ी।