पीड़िता की वेदना के अनुमान से ही अंत:चेतना कांप जाएगी : अदालत
कहा-विरल से विरलतम श्रेणी में है अभियुक्त का अपराध 17 दिन अस्पताल में जिदगी और मौत से जूझती रही पीड़िता।
जासं, हाथरस : सिकंदराराऊ में किशोरी से दुष्कर्म और केरोसिन डालकर जिदा जलाने की घटना में विशेष न्यायाधीश पोक्सो अधिनियम प्रतिभा सक्सेना ने फांसी की सजा सुनाते समय तीखी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि यह अपराध विरलतम श्रेणी का है। जिदगी और मौत से जूझते समय किशोरी की पीड़ा का अनुमान लगाने भर से सामान्य व्यक्ति की अंत: चेतना कांप जाएगी।
कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त मोनू ठाकुर ने किशोरी से दुष्कर्म, छेड़खानी करते हुए मिट्टी का तेल डालकर उसे बुरी तरह जला दिया। अभियुक्त का यह कृत्य बिना किसी प्रकोपन के था। पीड़िता 17 दिन अस्पताल में जीवन से संघर्ष करती रही। 13 वर्ष की उस मासूम बालिका ने जीवन के विभिन्न रंग और संसार को ठीक प्रकार से देखा तक नहीं था। वह अपना प्राकृतिक जीवन ठीक प्रकार से शुरू भी नहीं कर पाई थी। वह अभियुक्त के कृत्य का प्रतिरोध करने की स्थिति में सक्षम नहीं थी। पीड़िता ने दुष्कर्म से लेकर जलाने और अंतिम सांस के बीच जो मानसिक और शारीरिक वेदना सहन की होगी, उसका मात्र अनुमान करने पर ही सामान्य व्यक्ति की अंत: चेतना कंपित हो जाएगी। इसलिए अभियुक्त मोनू ठाकुर द्वारा कारित अपराध विरल से विरलतम श्रेणी में आता है। दोष सिद्ध व्यक्ति समाज के सामंजस्य और शांति पूर्ण सह अस्तित्व के लिए एक अभिशाप और चुनौती होगा।
हाथरस में पहले भी सुनाई गईं फांसी की सजा -
1-कलवारी में हत्या के मामले में दो लोगों को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी।
2- हत्या के मामले में 16 वर्ष पहले सादाबाद के दो आरोपितों को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी।
3-सादाबाद क्षेत्र के एक गांव की तीन वर्ष की मासूम से दुष्कर्म और हत्या के मामले में आरोपित को फांसी की सजा सुनाई गई थी।
4-सहपऊ के अधिवक्ता सत्यप्रकाश गौतम की हत्या के मामले में कोर्ट ने दो लोगों को फांसी की सजा सुनाई थी।