पैरों से सड़क नापते मजदूरों का सहारा बनीं रोडवेज बसें
सन्नाटे में डूबी सड़कें और उन पर पैदल चलकर अपनी मंजिल को तय करते मजदूरों को बस ने गंतव्य तक पहुंचाया।
जासं, हाथरस: सन्नाटे में डूबी सड़कें और उन पर पैदल चलकर अपनी मंजिल को तय करते मजदूरों का दर्द मीडिया के जरिये बीते साल लाकडाउन के दौरान शासन तक पहुंचा तो शासन-प्रशासन मदद के लिए जुट गया। दिशा-निर्देश के बाद हाथरस के अफसर दौड़ पड़े स्पोर्ट्स स्टेडियम में ट्रांजिट सेंटर बनाकर राजस्थान में फंसे 32 हजार मजदूरों को हाथरस बुलाकर प्रदेशभर में उनके गृह जनपदों के लिए भिजवाया। वहीं, हाथरस में फंसे दूसरे प्रांतों के मजदूरों को जम्मू, बिहार समेत अन्य प्रदेशों में भेजकर अहम भूमिका निभाई थी।
तब अफसरों ने मजदूरों को भिजवाने की निभाई जिम्मेदारी
राजस्थान से मजदूरों का आना शुरू हो गया था। मजदूरों को लेकर राजस्थान से आ रही बसों के रुकने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा था सो अफसरों की टीम को भी हाजिर होना पड़ा था। एडीएम वित्त एवं राजस्व जेपी सिंह के अनुसार जितने भी मजदूर आए उनको बैठाने से लेकर भोजन और पानी देने के बाद स्वास्थ्य परीक्षण कराकर रोडवेज बसों से रवाना कर दिया गया था। एडीएम के अनुसार 32 हजार मजदूरों को रोडवेज बसों के जरिए घर भिजवाया गया।
प्रशासन ने किए थे पूरे इंतजाम
लाकडाउन के दौरान हजारों मजदूर पैदल ही अपने गांव के लिए सैकड़ों किलोमीटर पैदल ही चलना शुरू हो गए थे। शासन को जानकारी मिली तो देर सही मगर प्रशासन को निर्देश दिए कि मजदूरों को पैदल चलने से रोका जाए और उनको बसों में बिठाकर उनके शहर या गांव तक छुड़वाने की पूरी व्यवस्था की जाए। शासन के निर्देश पर रोडवेज बसों का इंतजाम कराने पहले स्पोर्ट्स स्टेडियम में टैंट लगवाकर वहां जनपदवाइज कैंप बनवाकर अफसर एवं कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई थी।