दो दशक तक बसपा के 'वीर' रहे रामवीर
बसपा के शासन काल में परिवहन ऊर्जा चिकित्सा शिक्षा मंत्री रहे ब्लर्ब- वर्ष 1996 में पहली बार हाथरस से चुने गए विधायक फिर सिकंदराराऊ व सादाबाद में प्रतिनिधित्व
जासं, हाथरस : लोकसभा चुनाव पर विराम लगते ही राजनीतिक गलियारों में उठापटक शुरू हो गई। पूर्व मंत्री व कद्दावर नेता रामवीर उपाध्याय को पार्टी से निलंबित कर बसपा ने सियासी भूचाल ला दिया है। मंगलवार की सुबह उनके निलंबन की खबर सियासी गलियारों में जंगल की आग की तरह फैली। अब हर कोई उनके अगले कदम पर नजरे टिकाए हुए है।
रामवीर उपाध्याय शुरू से ही मझे हुए खिलाड़ी के रूप में बसपा के सिपाही रहे। वे हाथरस से तीन बार व सिकंदराराऊ से एक बार विधायक रहे। वर्तमान में सादाबाद विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। उनकी पश्चिमी उप्र में धाक रही है और बसपा में ब्राह्मण नेता के रूप में उनकी विशिष्ट पहचान है।
मेरठ विश्वविद्यालय से एमए-एलएलबी की शिक्षा ग्रहण करने के बाद उनका राजनीतिक करियर वर्ष 1992 में शुरू हुआ। हाथरस आने के बाद उन्होंने भाजपा से टिकट मांगी थी, लेकिन जब उन्हें टिकट नहीं मिली तो वह वर्ष 1993 में निर्दलीय चुनाव लड़े और तीसरे स्थान रहे। रामलहर में यहां से भाजपा प्रत्याशी राजवीर सिंह पहलवान विजयी हुए। इसके बाद उन्होंने बसपा का दामन थाम वर्ष 1996 में हाथरस से चुनाव लड़ा और विजयी रहे। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी राजवीर सिंह पहलवान को हराया और बसपा काल में वह परिवहनमंत्री बने। फिर हाथरस को जिला बनवाया। इसके बाद बसपा-भाजपा गठबंधन के चलते एक माह के लिए कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बने तब भी वह परिवहन मंत्री रहे। इसके बाद तो वे सियासी बुलंदियों को छूते चले गए। 2002 में जीतने के बाद वह ऊर्जा एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री व वर्ष 2007 में भी ऊर्जा मंत्री बने। इतना हीं नहीं दो बार उनकी पत्नी सीमा उपाध्याय जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं। उनके छोटे भाई रामेश्वर उपाध्याय मुरसान ब्लाक प्रमुख रहे। वर्ष 2009 में फतेहपुर सीकरी से सीमा उपाध्याय बसपा के टिकट पर सांसद बनीं। वर्ष 2012 में हाथरस सासनी एक होते ही यह सीट सुरक्षित हो गई तो वह सिकंदराराऊ से चुनाव लड़े और कांटे के टक्कर में विजयश्री हासिल की। हाथरस से उन्होंने बसपा प्रत्याशी गेंदालाल चौधरी को विजयी बनवाया। वर्ष 2017 में वह सादाबाद से विधायक चुने गए। वह वर्तमान में बसपा विधान मंडल दल के मुख्य सचेतक थे। अब बिना रामवीर हाथरस में बसपा का परचम किसके हाथ में जाएगा इसपर हर नजरें टिकी हैं।
रामवीर उपाध्याय को तीन साल में तीन बड़े झटके!
ब्लर्ब-
आशीष शर्मा, भाई मुकुल उपाध्याय ने छोड़ा साथ, जिला पंचायत अध्यक्षी भी गंवाई जासं, हाथरस : दो दशक से अधिक समय से रामवीर उपाध्याय का हाथरस में बर्चस्व रहा है, लेकिन पिछले तीन वर्ष में अपनों के छिटकने से रामवीर काफी कमजोर भी हुए। उन्हें तीन साल में तीन बड़े झटके लगे।
वर्ष 2016 के अंत में आशीष शर्मा ने उनका साथ छोड़ा। वह नगर पालिका के चुनाव मैदान में उतरे। विरोध में रामवीर के भाई मुकुल उपाध्याय की पत्नी रितू उपाध्याय खड़ी थीं मगर उन्हें हार का सामना करना पड़ा। रामवीर 1996 से लगातार विधायकी जीतते रहे। उन्होंने अपनी पत्नी सीमा उपाध्याय को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाया था। भाई रामेश्वर उपाध्याय को ब्लॉक प्रमुख बनवाने में कामयाब रहे। 2009 के लोकसभा चुनाव में सीमा उपाध्याय के फतेहपुरसीकरी से सांसद चुने जाने पर उन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद शेष समय के लिए पूर्व मंत्री के निर्देशन पर बसपा के ही वीरेंद्र सिंह कुशवाहा जिला पंचायत अध्यक्ष रहे। 2010 में हुए जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में उनके नेतृत्व में फिर से बसपा की रामवती बघेल अध्यक्ष चुनी गईं। 2015 में प्रदेश में सपा शासन के दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में कांटे के मुकाबले में वह अपने भाई विनोद उपाध्याय को एक वोट से जिताने में कामयाब हुए। तब उनका मुकाबला सपा जिलाध्यक्ष ओमवती यादव से हुआ था। इसके बाद विपक्ष के 15 सदस्यों ने 19 मई 2017 को शपथपत्र के साथ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस देकर विनोद को चुनौती दी। 14 जून को अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के बाद यह पद रिक्त हुआ और चुनाव में ओमवती ने डेढ़ साल पुरानी हार का बदला ले लिया।
आठ नवंबर 2018 को रामवीर उपाध्याय को एक और बड़ा झटका लगा। उनके भाई मुकुल उपाध्याय को पार्टी विरोध गतिविधियों में संलिप्त बताते हुए बसपा से निष्कासित कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने रामवीर पर कई गंभीर आरोप लगाए। कुछ माह बाद मुकुल भाजपा में शामिल हो गए। उपाध्याय के समर्थन में बसपा के पूर्व जिला उपाध्यक्ष का त्यागपत्र
संसू, सिकंदराराऊ : बसपा से पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय के निलंबन की निंदा करते हुए पार्टी के पूर्व जिला उपाध्यक्ष आशीष कुमार दीक्षित ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। दीक्षित ने कहा है, 'बसपा के प्रति समर्पित रहकर विषम परिस्थितियों में भी पार्टी का दामन न छोड़ने वाले पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय का निलंबन निंदनीय है। विपक्षी पार्टियों के तमाम प्रलोभन को दरकिनार कर बसपा का साथ नहीं छोड़ा था। इस निर्णय से कार्यकर्ताओं की भावनाओं को ठेस पहुंची है। इसलिए साथियों के साथ बसपा की सदस्यता छोड़ रहा हूं।'
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