महामारी में जान जोखिम में डाल की जनसेवा
तंत्र के गण नौकरशाह बने सेवादार डिप्टी सीएमओ सात माह ड्यूटी करने के बाद पहुंचे थे अपने घर आगरा।
संवाद सहयोगी, हाथरस : कोरोना काल में जहां हर इंसान अपनी जिदगी को लेकर चिंतित था, वहीं कुछ लोग ऐसे भी थे, जो जान जोखिम में डालकर दिन-रात लोगों की सेवा में जुटे थे। डिप्टी सीएमओ डॉ. मधुर कुमार ने कोरोना काल में दिन-रात ड्यूटी करके लोगों की सेवा की। उन्हीं का कठिन परिश्रम था, जिसकी वजह से हाथरस जिला कम एक्टिव केस व रिकवरी रेट के मामले में प्रदेश में पहले स्थान पर रहा।
मिली थी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी
मार्च में कोरोना वायरस संक्रमण ने पूरे तंत्र को हिला दिया। आनन-फानन स्वास्थ्य विभाग को व्यवस्था करनी पड़ी। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने महत्वपूर्ण अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी, ताकि महामारी को लेकर स्थिति नियंत्रित रहे। डिप्टी सीएमओ डॉ. मधुर कुमार को हॉट स्पॉट एरिया के अलावा क्वारंटाइन सेंटर में लोगों को भेजने की जिम्मेदारी मिली। इसके साथ ही हाथरस शहर के नोडल अधिकारी होने के नाते उन्हें लगातार कार्य करना पड़ा। परिवार की तरफ नहीं दिया ध्यान
कोरोना के कारण मार्च के बाद से ही सब लोग डरे सहमे थे। फिर चाहे तंत्र में शामिल अधिकारी हों या आम लोग। लगातार सतर्कता बरती जा रही थी। नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी मिलने के बाद डिप्टी सीएमओ अपनी टीम के साथ हॉट स्पॉट एरिया में जाते रहे। क्वारंटाइन सेंटर पर भी नजर रखी। इस दौरान परिवार से दूरी बनाए रखी। परिवार के लोगों को उनकी चिता रहती थी। डिप्टी सीएमओ को परिवार का भी पूरा सहयोग मिला। सात महीने बाद गए थे घर
कोरोना महामारी के दौरान डिप्टी सीएमओ अपने आवास पर आने के बाद किसी से मिलते नहीं थे। पहले खुद को सैनिटाइज करते फिर घर में प्रवेश करते थे। महामारी के दौरान घर पर भी उन्होंने अपने कार्य को वरीयता दी। ड्यूटी खत्म होने के बाद घर पर रहकर भी कार्य किया। आगरा में परिवार के पास जाने का मौका सात माह बाद मिला। पहले स्थान पर आया हाथरस
एक समय ऐसा आया जब हाथरस जिले में एक्टिव केस की संख्या डेढ़ सौ से ऊपर पहुंच गई। लगातार कोरोना संक्रमित मरीजों के निकलने के बाद अफसरों की दिक्कतें बढ़ गईं। लोग भी दहशत में आ गए थे। तब डिप्टी सीएमओ व उनकी टीम के सहयोग से ही लगातार प्रयास किए गए। एक समय ऐसा आया, जब हाथरस रिकवरी रेट व कम एक्टिव केस के मामले में प्रदेश में पहले स्थान पर आया।