पितरों के प्रति श्रद्धाभाव जताने का पक्ष आज से

16 दिन तर्पण करने से सदा बना रहता है पूर्वजों का आशीर्वाद सबसे श्रेष्ठ है अमावस्या का दिन भूले-बिसरों का करते हैं श्राद्ध।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 12:27 AM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 12:27 AM (IST)
पितरों के प्रति श्रद्धाभाव जताने का पक्ष आज से
पितरों के प्रति श्रद्धाभाव जताने का पक्ष आज से

संवाद सहयोगी, हाथरस : 20 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो रहा है। इस दौरान पितरों का श्राद्ध या पिडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। इससे कर्ता को पितृ ऋण से मुक्ति मिल जाती है।

इस साल श्राद्ध पक्ष 20 सितंबर से आश्विन मास की अमावस्या यानि छह अक्टूबर तक है। अमावस्या का श्राद्ध श्रेष्ठ माना गया है। इस दिन भूली-बिसरी तिथि सहित सभी का श्राद्ध किया जा सकता है। श्राद्ध या पिडदान प्रमुखतया तीन पीढि़यों तक के पितरों को दिया जाता है। पितृपक्ष में किए गए कार्यों से पूर्वजों की आत्मा को तो शांति प्राप्त होती ही है, साथ ही पितृदान करने वाले को भी पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है। तिथिवार श्राद्ध करने का महत्व

तिथि, श्राद्ध का फल व महत्व

पूर्णिमा, अच्छी बुद्धि, पुत्र-पौत्रादि व ऐश्वर्य की प्राप्ति

प्रतिपदा, धन व संपत्ति में वृद्धि

द्वितीया, अत्यंत सुख की प्राप्ति

तृतीया, शत्रु व समस्त कष्टों से मुक्ति

चतुर्थी, शत्रुओं से होने वाले अहित पहले से ज्ञान होता है

पंचमी, सुख व समृद्धि मिलती है

षष्टी, सम्मान मिलता है

सप्तमी, महान यज्ञों को पुण्य फल की प्राप्ति

अष्टमी, संपूर्ण समृद्धियों की प्राप्ति

नवमी, ऐश्वर्य की प्राप्ति

दशमी, धन संपदा बनी रहती है

एकादशी, वेदों का ज्ञान व ऐश्वर्य मिलता है

द्वादशी, घर में अन्न की कमी नहीं होती

त्रयोदशी, श्रेष्ठ बुद्धि, संतति, दीर्घायु व ऐश्वर्य की प्राप्ति

चतुर्दशी, अज्ञात भय का खतरा नहीं रहता

अमावस्या, अनंत सुख की प्राप्ति होती है इनका कहना है

अमावस्या का श्राद्ध श्रेष्ठ माना गया है। पितृ विसर्जन और सर्वपैत्री भी इसी दिन मनाया जाएगा। अमावस्या के श्राद्ध के साथ ही इस दिन महालया की भी समाप्ति हो जाएगी।

-पं. सीपु जी महाराज, धर्माचार्य श्राद्ध में लगातार 16 दिन तक तर्पण करने पर बच्चों को अनवरत पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता रहता है। श्राद्ध में काले तिल, जौ, चावल, सफेद पुष्प व चंदन से तर्पण करना श्रेष्ठ रहता है।

पं. लक्ष्मणदत्त गोस्वामी, ज्योतिषाचार्य

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