कार्यालय न संसाधन, कैसे मिटे प्रदूषण

एक तरफ वायु व जल प्रदूषण रोकने के लिए शीर्ष अदालतें सख्त रुख अपना रही हैं वहीं फैक्ट्रियां प्रदूषण फैला रहीं हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 19 Nov 2021 12:09 AM (IST) Updated:Fri, 19 Nov 2021 12:09 AM (IST)
कार्यालय न संसाधन, कैसे मिटे प्रदूषण
कार्यालय न संसाधन, कैसे मिटे प्रदूषण

जासं, हाथरस : एक तरफ वायु व जल प्रदूषण रोकने के लिए शीर्ष अदालतें सख्त रुख अपना रही हैं, वहीं चार जिलों में प्रदूषण रोकने के लिए क्षेत्रीय प्रबंधक सहित तीन अफसरों पर जिम्मेदारी मजाक जैसी लगती है। बढ़ते औद्योगीकरण, निर्माण कार्यों व वाहनों से वायु व जल प्रदूषण की स्थिति खतरनाक होती जा रही है।

अलीगढ़ मंडल में अलीगढ़ के अलावा हाथरस, एटा व कासगंज जिले हैं। मंडल मुख्यालय पर क्षेत्रीय प्रबंधक के अलावा एक इंजीनियर व एक वैज्ञानिक की तैनाती है। इन चार जिलों की आबादी लगभग 90 लाख है। विभाग के अनुसार इंजीनियर उपेंद्र नाथ पर हाथरस और अलीगढ़ जिले की जिम्मेदारी हैं, जबकि वैज्ञानिक जेपी सिंह के पास एटा और कासगंज जिले हैं। मंडल के हाथरस, एटा व कासगंज में जिला स्तर पर कोई कार्यालय नहीं है। इन जिलों में कई नदियों के अलावा हजारों फैक्ट्रियां व लाखों दो पहिया और चार पहिया वाहन हैं।

हाथरस की बात करें तो यहां पर करवन नदी व सेंगर नदी जैसी नदियां गुजरती हैं, वहीं अलीगढ़ रोड, सिकंदराराऊ रोड पर बड़े औद्योगिक क्षेत्र के अलावा सादाबाद, सहपऊ व सिकंदराराऊ में मिनी औद्योगिक आस्थान हैं। शहर के पुराने इलाकों में कई फैक्ट्रियां रिहायशी इलाकों में चल रही हैं। आसपास के गांवों में भी औद्योगिक विस्तार हुआ है। वाहनों की बात करें तो कुल पंजीकृत वाहनों की संख्या 2.40 लाख है। जिले में 15 साल पुराने वाहनों की संख्या 30 हजार है। वायु प्रदूषण की मानीटरिग के लिए शहर में आगरा रोड पर सादाबाद में वायु प्रदूषण मापक यंत्र लगाए गए हैं। इनका काम बस इतना है कि यहां वायु गुणवत्ता सूचकांक की रिपोर्ट संग्रह कर लखनऊ भेज दी जाती है।

मेरे अलावा एक वैज्ञानिक और एक इंजीनियर पर मंडल के चार जिलों के प्रदूषण नियंत्रण की जिम्मेदारी है। वैज्ञानिक समय-समय पर वायु और जल के सैंपल लेकर जांच करते रहते हैं।

-एके चौधरी, क्षेत्रीय प्रबंधक प्रदूषण नियंत्रण विभाग

chat bot
आपका साथी