आतंकवाद के सफाये से मिलेगी नीतेश के परिवार को संतुष्टि

26/11 आतंकी हमले में चंदपा के परिवार ने खोया था घर का चिराग फिर ताजा हुईं नीतेश की यादें।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 26 Nov 2020 04:17 AM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2020 04:17 AM (IST)
आतंकवाद के सफाये से मिलेगी नीतेश के परिवार को संतुष्टि
आतंकवाद के सफाये से मिलेगी नीतेश के परिवार को संतुष्टि

जासं, हाथरस : बेशक बारह साल बीत गए, लेकिन आज भी आतंकवाद का जिक्र आते ही चंदपा के परिवार के जेहन में आक्रोश का लावा फूटने लगता है। इसकी मुख्य वजह है 26/11 को मुंबई हमला। मुंबई स्टेशन पर आतंकी कसाब की गोली से इस परिवार का चिराग बुझ गया था। स्वजन का कहना है कि आतंकवाद का जब तक सफाया नहीं होगा, उन्हें संतुष्टि नहीं मिलेगी। फ्लैश बैक : आगरा रोड एनएच-93 स्थित गांव चंदपा निवासी विजय कुमार शर्मा नेवी में डिपो इंचार्ज थे। वे स्वजन के साथ मुंबई में रहते थे। उनके भाई देवेश शर्मा गांव में ही पैतृक मकान में रहते हैं। 26 नवंबर 2008 को मुंबई स्टेशन पर हुए आतंकी हमले में इस घर को भी गहरा जख्म दिया। उस दिन विजय कुमार स्वजन के साथ मुंबई से गांव आ रहे थे। छत्रपति शिवाजी टर्मिनल स्टेशन पर उनके साथ पत्नी व बेटा नीतेश भी था, जो उस वक्त 16 साल का था। वे लोग ट्रेन का इंतजार कर रहे थे तभी दो आतंकियों ने ताबड़तोड़ फायरिग शुरू कर दी। टर्मिनल पर हुए हमले में कुल 58 लोग मारे गए थे, जिसमें नीतेश भी शामिल था। पूरे हमले में 166 लोगों की मौत हुई थी। नीतेश के पिता विजय शर्मा के अनुसार आतंकी अजमल कसाब कुछ कदम की दूरी पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाए जा रहा था। वे बेटे को लेकर भाग रहे थे कि तभी एके-47 से निकली एक गोली ने नीतेश को चपेट में ले लिया। नीतेश की मौत से विजय बदहवास हो गए। काफी देर तक वे बेटे के शव को गोदी में लेकर प्लेटफार्म पर ही बैठे रहे थे।

फांसी पर बांटी थी मिठाई :

21 नवंबर 2012 को अजमल आमिर कसाब को फांसी दी गई। पूरे देश के साथ गांव चंदपा के लोगों ने इस पर संतुष्टि जताई थी। नीतेश के बाबा धनपाल उस दौरान जिदा थे। उन्होंने इस मौके पर गांव में मिठाई बांटी थी। धनपाल ने 2008 में ही नाती की याद में घर पर आम का पौधा लगाया था, लेकिन कुछ साल बाद वह सूख गया। बाबा-दादी भी इस संसार से अलविदा कह चुके हैं।

पिता भी बीमार : देवेश के मुताबिक नीतेश के पिता विजय आज भी पत्नी उर्मिला के साथ मुंबई में रहते हैं। वह नेवी से रिटायर्ड हो गए हैं। उन पर दो बेटे थे। नीतेश आतंकी हमले में मारा गया। जबकि, नीतेश के भाई विक्रम का पांच साल की उम्र में खेलते समय अपहरण हो गया था, जो आज तक नहीं मिला। उनका कहना है कि भाई विजय की हालत भी ठीक नहीं है। उनकी डायलिसिस मुंबई में होती है। आतंकवाद का खात्मा करे सरकार

नीतेश के चाचा देवेश की गांव में मिठाई की दुकान है। वे कहते हैं कि जब भी 26 नवंबर आता है, नीतेश की यादें ताजा हो जाती हैं और आंखों में आंसू छलक आते हैं। बस इतना ही कहते हैं कि अब यादें ही शेष बची हैं। आतंकवाद ने देश को काफी नुकसान पहुंचाया है। केंद्र सरकार को इस ओर कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। यह आतंकवाद देश की एकता-अखंडता को नुकसान पहुंचा रहा है।

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