जेल से चल रहा सट्टे का नेटवर्क!

कड़वा सच : चतुरा के बाद भी शहर में फलफूल रहा सट्टा कारोबार

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Feb 2019 07:28 AM (IST) Updated:Mon, 18 Feb 2019 07:28 AM (IST)
जेल से चल रहा सट्टे का नेटवर्क!
जेल से चल रहा सट्टे का नेटवर्क!

कमल वाष्र्णेय, हाथरस :

इगलास अड्डा पर सटोरियों के खिलाफ हुई कार्रवाई ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सट्टा माफिया चतुरा को सलाखों के पीछे भेजने के बाद पुलिस अधिकारी भले ही अपनी पीठ थपथपा रहे थे, लेकिन शहर में सट्टा कारोबार बदस्तूर चलता रहा। अब यह जांच का विषय है कि पुलिस को वास्तव में इस अवैध कारोबार की भनक नहीं मिली या फिर जानबूझ कर इसे अनदेखा किया जाता रहा। कार्यालय बनाकर कारोबार :

14 फरवरी की रात पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ शंकर मीना के निर्देशन में इगलास अड्डा स्थित पत्थरवाली गली में सटोरियों के ठिकाने पर छापा मारा गया था। यहां से 35 लोगों की गिरफ्तारी हुई, लेकिन सरगना नसरुद्दीन उर्फ दद्दा हाथ नहीं आया। दद्दा के तीन मुनीम छोटू निवासी नगला वुधू, अशोक निवासी मधुगढ़ी व रणविजय निवासी इगलास अड्डा थे तथा बाकी 32 सट्टा लगाने वाले थे। नसरुद्दीन ने यह कमरा किराए पर लिया था। यहां टेबल-मेज लगाकर बाकायदा कार्यालय बना रखा था। निर्धारित समय पर सट्टा लगवाया जाता था। दर्जनों लोग यहां सट्टा लगाने पहुंचते थे। शाम को भीड़ लगी रहती थी। स्थानीय लोगों के अनुसार जिस तरह यहां काम चलता था, उससे लगता था कि इन्हें पुलिस का खौफ नहीं था। इसलिए अधिकारियों को गोपनीय सूचना दी गई थी।

कारोबार के पीछे कौन :

सटोरियों पर कार्रवाई को चार दिन हो चुके हैं, लेकिन अभी तक पुलिस यह पता नहीं कर सकी है कि यह सट्टा कौन करा रहा था। पुलिस की डायरी में शहर में सट्टा माफिया में केवल चतुरा का ही नाम दर्ज है। नसरुद्दीन का नाम पहली बार सामने आया है। इसलिए चतुरा की तरह स्वतंत्र रूप से उसके काम करने की संभावना कम है। साथ ही उसके जैसा नेटवर्क तैयार करना हर किसी के बस की बात नहीं। पुलिस को भी आशंका है कि वह चतुरा के ही नेटवर्क को चला रहा था, लेकिन अधिकारी किसी नतीजे पर पहुंचने के लिए नसरुद्दीन की गिरफ्तारी का इंतजार कर रहे हैं।

डर वश नहीं कराई बेल

यह पहली बार है, जब चतुरा इतने लंबे समय तक जेल में है। सूत्रों के अनुसार जमानत पर बाहर आने के बाद बार-बार हो रही कार्रवाईयों के चलते वह बाहर आने से डर रहा है। वर्ष 2017 में जिले में आने के बाद से ही इंस्पेक्टर जसपाल ¨सह पंवार सट्टा कारोबार पर शिकंजा कसे हुए हैं। 35 करोड़ की संपत्ति सीज से लेकर सट्टे व एनडीपीएस एक्ट में कार्रवाई की जा चुकी है। 5 अगस्त 2018 को कोतवाली सदर से दो किलो स्मैक में जेल भेजा गया था, जिसके बाद से वह बाहर नहीं आया है। यह गंभीर है कि पुलिस इसके बाद भी कारोबार पर रोक नहीं लगा सकी। अभी भी कई इलाके कार्रवाई से अछूते हैं। इनका कहना है

नसरुद्दीन उर्फ दद्दा की तलाश की जा रही है। जल्द ही उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा। उससे पूछताछ में ही पता चलेगा कि वह किसके लिए काम कर रहा था। रही बात इस अवैध कारोबार की तो इसे जड़ से खत्म करने के लिए छोटी से छोटी सूचना को गंभीरता से लेकर कार्रवाई की जा रही है।

-सिद्धार्थ वर्मा, एएसपी हाथरस

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