गंगा दशहरा पर स्नान-दान के साथ उत्साह की उड़ीं पतंगें

सैकड़ों श्रद्धालु गंगा घाटों पर गए गंगनहर पर भी पहुंचे नहाने।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 01:08 AM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 01:08 AM (IST)
गंगा दशहरा पर स्नान-दान के साथ उत्साह की उड़ीं पतंगें
गंगा दशहरा पर स्नान-दान के साथ उत्साह की उड़ीं पतंगें

संस, हाथरस : गंगा दशहरा का पावन पर्व रविवार को हर्षाेल्लास के साथ मनाया गया। गंगा स्नान के लिए सैकड़ों श्रद्धालु गंगा घाटों पर गए। जो नहीं जा पाए वे नहरों में नहाने पहुंचे। मंदिरों व बाजारों में जगह-जगह प्रसाद वितरण किया गया।

शहर में दशहरा पर्व को लेकर जबरदस्त उत्साह दिखा। शनिवार रात ही अधिकतर लोग गंगा स्नान के लिए राजघाट, नरौरा, रामघाट, सोरों, कछला और हरिद्वार के लिए रवाना हो गए थे। कोरोना की बंदिशें भी श्रद्धालुओं के कदम नहीं रोक पाईं। सुबह घरों में पकवान बनाकर पूजा-अर्चना की गई। मंदिरों में पूजा कर देश व परिवार की खुशहाली के लिए मां गंगा से प्रार्थना की।

प्रसाद का वितरण : गंगा दशहरा पर पूजा अर्चना के साथ दान-पुण्य का विशेष महत्व है। शहर के बाजारों में कई जगह पूड़ी सब्जी, शरबत, ठंडई का वितरण किया गया। रोटी बैंक ने अलीगढ़ रोड पुलिस चौकी पर शरबत बांटा।

खूब हुई पतंगबाजी : गंगा दशहरा पर पतंग उड़ाने की परंपरा रही है। यह पतंगबाजी दशहरा से एक माह पूर्व शुरू हो जाती है। दशहरा पर लोगों ने नहर के किनारे, खुले मैदान व छतों पर खूब पतंग उड़ाईं। चेयरमैन आशीष शर्मा ने स्वजन के संग घर की छत पर पतंग उड़ाई। रसगवां नहर में लगाई डुबकियां

संसू, सहपऊ : कस्बा व क्षेत्र में दशहरा पर रसगवां में नहर पर युवाओं ने स्नान किया। आसपास के तमाम गांवों के लोगों की नहर पर भीड़ थी। खूब बिके खरबूज व तरबूज

संसू, सिकंदराराऊ : गंगा दशहरा पर्व नगर व क्षेत्र में धूमधाम से मनाया गया। मंदिरों में पूजा-अर्चना के बाद प्रसाद का वितरण किया गया। रजबहा व माइनरों में लोगों ने स्नान किया। खरबूज व तरबूज की खूब बिक्री हुई। कन्या-लांगुरा भी जिमाए गए

संसू, सादाबाद : गंगा दशहरा पर स्नान-दान और पूजा-पाठ के साथ ही देवी-देवताओं को भोग लगाने के बाद कन्या-लांगुरा भी जिमाए गए। इसके बाद श्रद्धालुओं ने शरबत, पूड़ी सब्जी की प्रसाद वितरित किया।

फड़ों पर बेचे तरबूज व खरबूज

संसू, सासनी : बहुतेरे लोगों ने घरों पर ही गंगा जल में पानी मिलाकर गंगा स्नान का लाभ लिया।

स्नानकर गंगा नहाने की परंपरा का निर्वहन किया। इसके बाद घरों व मंदिरों में पूजा-अर्चना की गई। तरबूजे व खरबूजे की इस दिन जमकर खरीदारी हुई।

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