बगावत के अंकुर को खाद-पानी देकर खुद खड़ी की चुनौती

जिला पंचायत के चुनाव की तरह ब्लाक प्रमुख चुनाव भी भाजपा में गुटबाजी का शिकार हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 10 Jul 2021 12:04 AM (IST) Updated:Sat, 10 Jul 2021 12:04 AM (IST)
बगावत के अंकुर को खाद-पानी 
देकर खुद खड़ी की चुनौती
बगावत के अंकुर को खाद-पानी देकर खुद खड़ी की चुनौती

जासं, हाथरस : जिला पंचायत के चुनाव की तरह ब्लाक प्रमुख चुनाव भी भाजपा में गुटबाजी का शिकार हो गया है। गुटबाजी इतनी है कि बगावत की आग आखिर तक शांत नहीं हुई। विरोध में बागी प्रत्याशी मैदान में डटे रहे। इसका खामियाजा शनिवार को मतगणना में सामने आ सकता है।

ब्लाक प्रमुख के चुनाव में भाजपा ने अपने समर्थन से सात ब्लाकों में पांच पर प्रत्याशी उतारे हैं। मुरसान में पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय के छोटे भाई रामेश्वर उपाध्याय निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं। हाथरस में भाजपा समर्थित प्रत्याशी रुखसाना रानी के खिलाफ बागी के रूप में पूर्व ब्लाक प्रमुख अमर सिंह पांडे की पत्नी पूनम पांडे डटी हुई हैं। वहीं सासनी में सदर विधायक हरीशंकर माहौर की पुत्र वधू प्रतिभा कमल माहौर के खिलाफ बागी के रूप में आशा देवी मैदान में हैं। इस चुनौती के पीछे विपक्षी दल वाले नहीं बल्कि पार्टी का ही एक खेमा है। सासनी में तो टिकट को लेकर सदर विधायक और सांसद आमने सामने रहे। आखिर में सदर विधायक अपनी पुत्र वधू को टिकट दिलाने में कामयाब रहे। इसका विरोध कम नहीं हुआ और अंदरूनी तौर पर भाजपाइयों का दूसरा खेमा आशा देवी के साथ खड़ा नजर आ रहा है। शु्क्रवार को उन्हें मनाने की कोशिश चलती रहीं, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। सिकंदराराऊ में अजय प्रताप सिंह व हसायन में धर्मेंद्र प्रताप सिंह पीलू को सपा और निर्दलीय प्रत्याशियों से कड़ी चुनौती मिल रही है। बगावत का परिणाम यह रहा कि पांच में से केवल एक सीट पर मुरसान पर ही भाजपा नेता अपने प्रत्याशी को निर्विरोध निकाल पाए। इसके पीछे भी रामवीर फेक्टर को बड़ी वजह माना जा रहा है।

जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में भी थी यही स्थिति

जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में 24 सीटों पर भाजपाइयों को कड़ी चुनौती मिली। इसी का नतीजा रहा कि जिला कार्यालय से लेकर प्रदेश कार्यालय तक की रणनीति विफल रही। सिर्फ पांच समर्थित प्रत्याशी ही चुनाव जीत पाए थे। बगावत के चलते मतदान की पूर्व संध्या पर 11 लोगों का निष्कासन भी हुआ, लेकिन उसका भी कोई फायदा नहीं हुआ। चुनाव परिणाम के बाद भाजपा संगठन को इन बागियों की पार्टी में वापसी करानी पड़ी। इसके बावजूद बगावत के सुर लगातार फूटते रहे हैं। अब शनिवार को मतदान के बाद देखना है कि क्या परिणाम आते हैं।

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