कोरोना कर्फ्यू के सन्नाटे में कैद हुई जिदगी
59 घंटे के कोरोना कर्फ्यू ने दिलाई 2020 में हुए लाकडाउन की याद पुलिस प्रशासन ने दी सभी लोगों को घर में रहने की कड़ी हिदायत।
जागरण संवाददाता, हाथरस : शुक्रवार की रात आठ बजे से ही बाजारों के शटर गिर गए थे। रातभर सड़कों पर कुछ था तो सिर्फ पुलिस की गाड़ियों की गश्त। यही आलम शनिवार को दिनभर और रात में भी रहा। 59 घंटे का घोषित कोरोना कर्फ्यू सोमवार की सुबह सात बजे खत्म होगा।
तालाब चौराहा हाथरस शहर का मुख्य चौराहा कहा जाता है। यहां से होकर मथुरा-बरेली मार्ग है। यहां 11 बजे न तो तालाब फाटक से होकर निकलने की जल्दबाजी और न वाहनों की ज्यादा आवाजाही। एक गाड़ी से उतरकर पुलिस दुपहिया और चारपहिया वाहनों की चेकिग कर रही थी, इसी बीच एसपी की गाड़ी निकली तो पुलिस वाले अलर्ट हो गए।
आम दिनों में भीड़भाड़ वाला घंटाघर चौराहा कोरोना कर्फ्यू के दौरान सुनसान नजर आया। कमोवेश यही स्थिति मुरसानगेट की भी थी जहां रोजाना भीड़भाड़ रहती है, मगर दुकान के बाहर बैठे कुछ लोग मोबाइल पर वक्त बिताते दिखे। पुलिस की गाड़ियों का हूटर बजता तो वह वहां से भाग छूटते घरों के लिए। मुरसान रोड पर वाहनों की आवाजाही जरूर देखी गई, मगर सभी दुकानें बंद थीं।
सूनी सड़कें और कैद लोग
कोरोना कर्फ्यू के दौरान हाथरस के सभी बाजारों में सन्नाटा पसरा था। लगभग सभी प्रमुख चौराहे सन्नाटे में डूबे हुए थे। सूनी सड़कों से गुजरते इक्का-दुक्का लोगों को पुलिस घर जाने की हिदायत दे रही थी। कुछ इसी तरह का नजारा सराफा बाजार में भी दिखा। दोपहर एक बजे सड़क से निकलते लोगों को पुलिस ने चेक किया और फिर हिदायत देने के बाद जाने दिया। इसी तरह से जामा मस्जिद चौराहा और क्रांति चौक पर भी सन्नाटा था। चामड़गेट और सादाबाद गेट पर भी जरूरी इक्का-दुक्का दुकानें खुलीं। अधिकांश लोग घरों में कैद रहे।