विश्व काव्य मंच पर काका ने दिलाई हाथरस को पहचान

विश्व काव्य मंच पर हाथरस को पहचान काका ने ही दिलाई थी।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 18 Sep 2021 11:47 PM (IST) Updated:Sat, 18 Sep 2021 11:47 PM (IST)
विश्व काव्य मंच पर काका ने दिलाई हाथरस को पहचान
विश्व काव्य मंच पर काका ने दिलाई हाथरस को पहचान

संवाद सहयोगी, हाथरस: विश्व काव्य मंच पर हाथरस को पहचान काका ने ही दिलाई थी। काका को दुनिया में सम्मान के साथ आज भी याद किया जाता है। काका की स्मृतियों को सहेजकर रखने की जिम्मेदारी जिले में सभी वर्ग के लोगों को निभानी चाहिए।यह उद्गार काका हाथरसी के जन्म व अवसान दिवस पर काका हाथरसी स्मारक भवन में हुए कार्यक्रम में तत्कालीन जिलाधिकारी डा. आरके भटनागर ने व्यक्त किए।

नगर पालिका के अध्यक्ष आशीष शर्मा ने कहा कि यदि कोरोना महामारी नहीं होती तो निर्माण कार्य शुरू हो गया होता। अब जल्द ही यहां एक म्यूजियम एवं ऊपर एक हाल का निर्माण कार्य प्रारंभ करा दिया जाएगा। कार्यक्रम में राष्ट्रीय कवि संगम की श्री राम काव्य पाठ जिला प्रतियोगिता के तीनों विजेताओं में उन्नति भारद्वाज, कुमारी शाम्भवी, मंजू शर्मा के साथ निर्णायक मंडल रहे डा. चंद्रशेखर रावल, डा. संतोष कुमार शर्मा, डा. कपिल शर्मा को भी प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया गया। पिलखुनिया के प्रशांत शर्मा ने दो घंटे में काका का चित्र बनाकर प्रस्तुत किया। अध्यक्षता पूर्व प्राचार्य डा. एससी शर्मा ने की व कार्यक्रम में हुए कवि सम्मेलन का संचालन राष्ट्रीय कवि संगम के जिला संयोजक आशु कवि अनिल बौहरे ने किया। इसमें श्याम बाबू चितन, प्रदीप पंडित, चाचा हाथरसी, डा. कपिल शर्मा, गाफिल स्वामी, रामजी लाल शिक्षक, सत्यनारायन गौतम, माधव शर्मा, डा. उपेंद्र झा, देवी सिंह निडर, रोशन लाल वर्मा, दीपक रफी, रविकांत सिंह के अलावा पूर्व जिलाधिकारी डा. भटनागर की पत्नी अनुपमा भटनागर, डा. जितेंद्र कुमार शर्मा, शरद अग्रवाल,दिनेश सेकसरिया, बीपी सिंह, सुधाकर गौतम, बृजेश वशिष्ठ, दिलीप पोद्दार एडवोकेट, डा. प्रवीन देव रावत मौजूद थे।

कवियों ने रचनाओं से याद किए काका हाथरसी: विमल साहित्य संवर्धक संस्था के तत्वावधान में हास्य सम्राट काका हाथरसी एवं युवा कवि अवशेष विमल की जन्म तिथि पर एक काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि गीतकार डा. विष्णु सक्सेना, विशिष्ट अतिथि डा. अजय अटल व मनोज नागर रहे। अध्यक्षता समाजसेवी हरपाल सिंह यादव ने की व संचालन अवनीश यादव ने किया। इसमें पंकज पंडा, प्रमोद विषधर, आनन्द वर्मा, देवा बघेल, रंजीत पौरुष, विजय प्रताप, कन्हैया पलतानी, त्रिभुवन नारायण शर्मा मौजूद थे।

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