लैब में ही दफन हो गई आइसीटी योजना
सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के तहत एडेड स्कूलों में लगे कंप्यूटर फांक रहे हैं धूल विडंबना कंप्यूटर शिक्षकों के न होने के कारण बंद हो गई कई स्कूलों में लैब अब नई शिक्षा नीति से उम्मीदें शायद सूचना प्रौद्योगिकी को लगें पंख
संवाद सहयोगी, हाथरस : पुरानी शिक्षा नीति भले ही अब अप्रासंगिक मानी जा रही हो मगर इसी नीति के तहत स्कूलों में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी की पहल भी हुई थी। केंद्र सरकार के पैसे से स्कूलों में कंप्यूटर आदि की व्यवस्था के साथ संविदा पर कंप्यूटर शिक्षक भी रखे गए थे। अब तो यह योजना कंप्यूटर लैब में ही दफन हो गई है। वहां रखे कंप्यूटर भी धूल फांक रहे हैं क्योंकि उनकी तकनीक भी अब महत्वहीन हो चुकी है।
यह थी योजना : वर्ष 2010 में जिले के 55 एडेड विद्यालयों में से 48 में केंद्र सरकार की आइसीटी योजना के तहत कंप्यूटर उपलब्ध कराए गए थे। साथ में यूपीएस, कंप्यूटर टेबल आदि सामान भी उपलब्ध कराए गए थे। प्रत्येक विद्यालय में संविदा पर एक कंप्यूटर शिक्षक की तैनाती की गई थी। कंप्यूटर शिक्षा स्कूल में ही उपलब्ध होने पर विद्यार्थी काफी खुश थे, लेकिन छह साल बाद ही योजना दम तोड़ गई और सरकार ने वर्ष 2016 के बाद योजना पर ब्रेक लगा दिया। संविदा पर रखे गए शिक्षकों को भी निकाल दिया गया।
पैसे खर्च कर ले रहे कंप्यूटर शिक्षा सरकार डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, प्रधानमंत्री कौशल विकास मिशन जैसे कार्यक्रम चला रही है मगर माध्यमिक विद्यालयों में इनका कोई लाभ नहीं मिल रहा है। जो विद्यार्थी कंप्यूटर शिक्षा पाना चाहते हैं उन्हें निजी कोचिग संस्थानों की मदद लेनी पड़ रही है। गरीब तबके के बच्चे इससे महरूम हैं। अब नई शिक्षा नीति से उम्मीद :
स्कूलों में शिक्षा का बुनियादी ढांचा बेहतर हो, इसको लेकर नई शिक्षा नीति लागू होने का इंतजार है। विद्यार्थियों को भी उम्मीद है कि नई शिक्षा नीति से शिक्षा के स्तर में सुधार होगा। सरकारी स्कूलों में भी सीबीएसई की तर्ज पर बेहतर माहौल होगा और दोनों में एकरूपता दिखेगी। सिस्टम की सुनो
आइसीटी योजना सरकार ने ही बंद कर दी थी। जिन स्कूलों में कंप्यूटर लगे हुए हैं, उनकी देखभाल स्कूलों को अपने स्तर से करनी चाहिए।
-सुनील कुमार, डीआइओएस, हाथरस।