महंगाई ने दिया इम्युनिटी को झटका
एक महीने के अंदर सबसे अधिक तुलसी पत्र पर 90 रुपये बढ़े आयुर्वेदिक काढ़े की मांग बढ़ने के कारण जड़ी बूटियों के बढ़े दाम।
जासं, हाथरस : कोरोना काल में आपदा को अवसर में बदलने में जमाखोर और कालाबाजारी करने वाले कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। खाद्य वस्तुओं के अलावा अन्य वस्तुओं की मांग को देखते हुए उनके दाम बढ़ा दिए हैं। जब से कोरोना संक्रमण बढ़ा है, मांग बढ़ने से एक महीने के अंदर इम्युनिटी बढ़ाने में काम आने वाली जड़ी बूटियों के दाम आसमान छू रहे हैं।
कोरोना काल में तमाम तरह के इलाज के बीच बचाव के लिए इम्युनिटी बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए जड़ी बूटियों और घर में प्रयोग होने वाले मसालों का प्रयोग बताया जा रहा है। हल्दी, सोंठ, दालचीनी, लौंग, कालीमिर्च के अलावा गिलोय, अश्वगंधा, पीपल, तुलसीपत्र की मांग बढ़ गई है। काढ़ा निर्माताओं के अलावा यह वस्तुएं घरों में भी सीधे उपयोग अधिक हो रही है। लोग घरों में लाकर खुद इनका इस्तेमाल कर रहे हैं। परचून विक्रेता प्रदीप वाष्र्णेय ने बताया कि पिछले दिनों की तुलना में दाम बढ़ गए हैं। थोक भाव भी बढ़े हुए हैं। सिर्फ हल्दी और सोंठ के दाम नहीं बढ़े हैं। घरों में भी लगा रहे पौधे
पिछली साल से जब से कोरोना काल बढ़ा तब से लोग घरों में तुलसी के अलावा एलोवेरा (ग्वारपाठा) और गिलोय के पौधे भी लगा रहे हैं। नर्सरी पर भी इनकी मांग बढ़ी है। तुलसी और गिलोय का पौधा तीस रुपये का मिल रहा है। ये रहे औषधियों के भाव
वस्तुएं, पहले, अब
गिलोय, 32, 40
दालचीनी, 150, 200
पीपल, 500, 650
तुलसीपत्र, 110, 200
अश्वगंध, 300, 450
कालीमिर्च, 400, 460
लोंग, 500, 600
(भाव रुपये प्रति किलो एक महीने के अंतराल के)