गलत आंकड़े बर्दास्त नहीं : डीएम

37 बिदुओं की विभागवार समीक्षा बैठक कलक्ट्रेट सभागार में बुलाई पूरी जानकारी करके ही अफसर समीक्षा बैठक में आएं

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Sep 2020 04:59 AM (IST) Updated:Sat, 19 Sep 2020 05:10 AM (IST)
गलत आंकड़े बर्दास्त नहीं : डीएम
गलत आंकड़े बर्दास्त नहीं : डीएम

जागरण संवाददाता, हाथरस : शुक्रवार को जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार की अध्यक्षता में विकास प्राथमिकता से संबंधित 37 बिदुओं की विभागवार समीक्षा बैठक कलक्ट्रेट सभागार में हुई। डीएम ने साफ कहा कि बैठक में सही आंकड़ों के साथ ही उपस्थित हों।

जिलाधिकारी ने जिला स्तरीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि रिपोर्ट भेजते समय प्रारूपों पर दी गई जानकारी, आकड़ों को अच्छी तरह से अध्ययन करने के बाद सही रिपोर्ट प्रेषित करें। समीक्षा बैठक में शामिल होने से पूर्व जानकारी प्राप्त करने के बाद ही प्रतिभाग करें। डीएम ने कहा कि वास्तविक आंकड़ों को ही दर्शाएं। गलत आंकड़े किसी दशा में प्रस्तुत न किए जाएं। बैठक में मुख्य विकास अधिकारी आरबी भास्कर, मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. बृजेश राठौर, जिला विकास अधिकारी अवधेश कुमार यादव, उप निदेशक कृषि एचएन सिंह, डीएसटीओ, जिला दिव्यांग जन सशक्तीकरण अधिकारी प्रतिभा पाल, जिला उद्यान अधिकारी गमपाल सिंह, जिला पूर्ति अधिकारी सुरेंद्र यादव आदि मौजूद रहे। अल्पसंख्यक बहुल इलाकों का विकास होगा

जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार की अध्यक्षता में प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम योजना के तहत जिला स्तरीय समिति की बैठक में अल्पसंख्यक बहुल इलाकों का विकास कराने पर चर्चा हुई। अल्पसंख्यक कल्याण की उप निदेशक डॉ. अमृता सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा संचालित है। इसमें 25 प्रतिशत से अधिक अल्पसंख्यक बहुल आबादी वाले क्षेत्रों को चयनित किया जाता है। इसमें नगर पालिका परिषद, नगर पंचायतें, विकास खंड, ग्राम पंचायत आदि में अल्पसंख्यक आबादी में शौचालय, पेयजल, राजकीय विद्यालय, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, राजकीय इण्टर कॉलेज बालक- बालिका, डिग्री कालेज, आइटीआइ, पॉलीटेक्निक, सद्भाव मंडप एवं सरकारी स्कूल, विद्यालयों में स्मार्ट क्लासेस आदि निर्माण के लिए संबंधित क्षेत्र के विकास खंड, ग्राम पंचायत, नगर पालिका, नगर पंचायतों से प्रस्ताव की मांग करने पर प्रस्ताव अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय उप्र लखनऊ को उपलब्ध कराने होते हैं, जिसके बाद प्रस्तावों के आधार पर अधिशासी अधिकारी जल निगम या अन्य कोई निमाण कंपनी जिसको टेंडर मिला हो उसको 60 प्रतिशत केंद्र सरकार और 40 प्रतिशत राज्य सरकार की ओर से धनराशि हस्तांतरित की जाती है। इस मौके पर सदर विधायक हरीशंकर माहौर एवं सीडीओ आरबी भास्कर मौजूद थे।

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