बिना कोच व संसाधनों के खिलाड़ी कैसे करें तैयारी
क्रिकेट हाकी फुटबाल के मैदान व कोच न होने से दिक्कतें स्टेडियम में सिर्फ इंडोर खेलों तक है सीमित मैदान है खराब।
संवाद सहयोगी, हाथरस : जब पूरी दुनिया 23 जून को विश्व ओलंपिक दिवस मना रही है तो हमें भी इस बात पर मंथन करना चाहिए कि हम ओलंपिक में कहां हैं। हमारे खेल और खिलाड़ियों की स्थिति कैसी है। बात हाथरस जिले की करें तो यहां खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है, लेकिन बेहतर संसाधन और कोच न मिल पाने के कारण उनका हुनर दम तोड़ देता है। खिलाड़ियों को यदि संसाधन और बेहतर कोच मिलें तो जिले से कई प्रतिभाएं आगे बढ़कर जिले का नाम रोशन कर सकती हैं।
मैदानों व कोच का अभाव :
जिले में खेलकूद के लिए सिर्फ बागला इंटर कॉलेज, केएल जैन इंटर कालेज सासनी और नगर पालिका क्रीड़ा स्थल सिकंदराराऊ के अलावा जिला स्टेडियम है। इन मैदानों पर ही खिलाड़ी अभ्यास करते हैं मगर इनकी दशा किसी से छिपी नहीं है। बेहतर मैदानों के साथ खेलों के प्रशिक्षक भी जिले में नहीं हैं। इसकी वजह से खिलाड़ियों को दूसरे जिलों का सहारा लेना पड़ता है। जिला स्टेडियम में सिर्फ इंडोर खेल ही हो सकते हैं। क्रिकेट का मैदान पिछले कई साल बाद भी ठीक नहीं हुआ है।
सिर्फ क्रिकेट ही होता है नियमित
जिले में सिर्फ क्रिकेट ही ऐसा खेल है जो नियमित होता है। इस खेल के लिए बेहतर प्रशिक्षकों की कमी देखने को मिलती है। आगरा व अलीगढ़ जिले से आइपीएल व देश के लिए खिलाड़ियों का चयन हो चुका है। हाथरस जिले में क्रिकेट की प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, लेकिन बेहतर कोच न होने के कारण खेल प्रतिभाएं जिले तक ही सिमटकर रह जाती हैं।
स्कूलों में खेल की खानापूर्ति
सीबीएसई स्कूलों में खेल गतिविधियों को संचालित किया जाता है। माध्यमिक विद्यालयों में खेल के नाम पर लकीर पीटी जाती है। कक्षा आठ से बारहवीं तक के विद्यार्थियों से खेल की फीस भी ली जाती है मगर सुविधाएं नहीं मिलतीं। बेसिक स्कूलों में खेल के सामान के लिए कई बार पांच-पांच हजार रुपये का बजट दिया जा चुका है, लेकिन विद्यालयों में खेल की गतिविधियां शून्य ही रहती हैं।
बोले विशेषज्ञ
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तमाम अभिभावक चाहते हैं कि उनके बच्चों को बेहतर प्रशिक्षण मिले। एकेडमी के जरिए प्रतिभाओं को निखारा जाता है, लेकिन संसाधन व बेहतर कोच जिले में नहीं है।
सौरव चंद्रा, वरिष्ठ क्रिकेटर। फोटो-3
जिले में संसाधनों की काफी कमी है। स्टेडियम काफी दूर होने के कारण खिलाड़ी वहां तक नहीं जाते। यदि संसाधन बेहतर हो तो खिलाड़ियों को दूसरे राज्यों से न खेलना पड़े।
उजागर शर्मा, एथलीट। फोटो-1
हाकी हमारा नेशनल खेल है। हमारे समय में काफी मैच हुआ करते थे, लेकिन संसाधन व योग्य प्रशिक्षकों के न होने से लगातार यह खेल दम तोड़ रहा है। बढ़ावा देने के प्रयास करने चाहिए।
दिवाकर शर्मा, पूर्व हाकी खिलाड़ी।