मासूम का मोह छोड़ बनीं मददगार
पति भी हैं गैर जनपद में सेवारत छह महीने के बेटे को बूढ़ी सास ससुर के हवाले छोड़कर जाती थीं सुमन।
हाथरस : इन दिनों में कोरोना फिर से डराने लगा है। ऐसे में 2020 में कोरोना में मददगारों की याद ताजा हो रही है, क्योंकि तब मदद के लिए आगे आईं महिलाएं किसी देवी से कम नहीं थीं। इनमें एक नाम है सुमन सारस्वत का, जो पेशे से पूर्ति विभाग में निरीक्षक हैं। तब वे अपने छह महीने के मासूम को बूढ़ी सास, ससुर बलराम सिंह के हवाले छोड़ गरीबों की सेवा के लिए निकल पड़ी थीं। उस दौरान उनका इकलौता मकसद था कि गरीबों को मुफ्त में राशन दिलाना। कोई गरीब परिवार वंचित न रहने पाए।
संक्षिप्त परिचय :
हाथरस के लहरा, वसुंधरा पुरम में रह रहीं सुमन सारस्वत पूर्ति विभाग में निरीक्षक हैं। उनकी तैनाती हाथरस सदर क्षेत्र में है। पति शेर सिंह बुलंदशहर में असिस्टेंट लेबर कमिश्नर हैं। मूल रूप से सुमन और उनके पति मथुरा जनपद के रहने वाले हैं। सुमन बताती हैं कि पिछले साल उनके बेटे शार्दूल तीन साल, कार्तिक महज छह महीने का था। हाथरस स्थित घर में उनके साथ सास द्रोपा देवी, ससुर बलराम सिंह के साथ रहती हैं। पूर्ति निरीक्षक की जिम्मेदारी और सामने गरीबों को राशन की समय से व्यवस्था कराने की जिम्मेदारी थी। ऐसे में इस चुनौती को स्वीकार किया और ड्यूटी में जुट गईं। गरीबों के हक को भागदौड़
2020 में जब कोरोना का कहर था तब पूर्ति निरीक्षक सुमन ने शासन के निर्देशों का अनुपालन करते हुए राशन डीलरों पर लगाम कसते हुए सुनिश्चित कराया कि कोई गरीब मुफ्त के राशन से वंचित न रहने पाए। सुमन बताती हैं कि उनके ऊपर क्षेत्र में गरीबों को मुफ्त में राशन वितरण की व्यवस्था सुनिश्चित कराना था। अक्सर शिकायतें मिलती रहती थीं कि राशन वितरण व्यवस्था में गड़बड़ी की जाती है। इन आम शिकायतों पर कड़ाई से अंकुश लगाने के लिए राशन डीलरों को हिदायत दी गई थी कि अगर वितरण में जरा भी लापरवाही की तो सीधे निलंबन और निरस्तीकरण की कार्रवाई के साथ मुकदमा भी दर्ज कराया जाएगा। कोरोना के नियमों का पालन
पूर्ति निरीक्षक बताती हैं कि कोरोना के नियमों का पालन कराने का पूरी तरह से प्रयास किया। सभी राशन डीलरों ने मास्क पहनकर वितरण कराया। सैनिटाइजर भी ग्राहकों को उपलब्ध कराया गया था। वैसे कोरोना के दौरान हम सभी की जिम्मेदारी है कि कोरोना के नियमों का पालन करें।