जनसेवा के जुनून में हुए थे बीमार
कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाडन के दौरान तमाम लोग बीमारियों से ग्रस्त हो रहे थे। इलाज के लिए कहीं बाहर जाने के लिए संसाधनों का अभाव था।
हाथरस : कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाडन के दौरान तमाम लोग बीमारियों से ग्रस्त हो रहे थे। इलाज के लिए कहीं बाहर जाने के लिए संसाधनों का अभाव था। चिकित्सकों में भी जबरदस्त खौफ था मगर शहर के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. एमसी गुप्ता अनवरत सेवा कार्य जारी रखा। कोविड नियमों का पालन करते हुए मरीजों को देखा, उपचार किया। इस बीच वे खुद भी कोरोना की चपेट में आ गए। गुरुग्राम के अस्पताल में भर्ती भी रहे और कोविड से जंग जीत 15 दिन बाद हाथरस लौटे। इतना सब कुछ होने के बाद भी उन्होंने कदम पीछे नहीं हटाए और क्वारंटाइन पीरियड बीतते ही मरीजों की सेवा में जुट गए।
यहां से मिली प्रेरणा
शहर के मोहल्ला रामलीला ग्राउंड के रहने वाले डॉ. एमसी गुप्ता ने बेनीगंज में वर्ष 1984 में एमबीबीएस करने के बाद चिकित्सा सेवा शुरू की थी। उनकी मुलाकात व्यापार मंडल के अध्यक्ष हरीश कुमार अग्रवाल से हुई। वे रोटरी क्लब, फिर लायंस क्लब से जुड़े। यहां से मानव सेवा का संकल्प लिया और तभी से जनसेवा में जुट गए। उन्होंने यह भी ठान लिया कि यदि किसी गरीब के पास फीस या फिर दवा के लिए धन न हो तो वे उसकी मदद कर देते। यह कार्य जारी रहा। खुद हो गए बीमार
कोरोना काल में उनकी सेवा जारी थी। वे पीपीई किट पहनकर मरीजों को देखते थे। फिर भी किसी तरह वे पॉजिटिव हो गए। इसके बाद 15 दिन गुरुग्राम के अस्पताल में रहे। बीमारी से जंग जीतने के बाद फिर से अपनी ड्यूटी पर आ डटे। सतर्कता बरतते हुए ओपीडी में विभिन्न बीमारियों के मरीजों का उपचार शुरू किया। मदद के लिए हर वक्त तैयार
डॉ. एमसी गुप्ता के पास अक्सर ऐसे मरीज भी आते हैं जिनके पास फीस के पैसे नहीं होते हैं मगर वे उसे निराश नहीं करते। ऐसे लोगों को देखने के बाद दवा भी अपने पास से देते हैं। विभिन्न शिविरों का आयोजन करते हैं और वहां गरीब तबके के लोगों का मुफ्त में उपचार करते हैं। इनका कहना है
बीमार हो या कोई जरूरतमंद, इंसान की सेवा अवश्य ही करनी चाहिए। मानव की सेवा ही ईश्वर की पूजा है। चिकित्सक का दायित्व भी बीमार व्यक्ति को ठीक करने के लिए नि:स्वार्थ प्रयत्न करना चाहिए।
-डॉ. एमसी गुप्ता, वरिष्ठ चिकित्सक