हाथरस के हिस्से की हरियाली फीरोजाबाद में

जीटी रोड के चौड़ीकरण में जमींदोज हुए 3600 पेड़ 7200 पेड़ों का मुआवजा एनएचएआइ ने वहां के वन विभाग को दिया।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 05:25 AM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 05:25 AM (IST)
हाथरस के हिस्से की हरियाली फीरोजाबाद में
हाथरस के हिस्से की हरियाली फीरोजाबाद में

जासं, हाथरस : जनपद में हर साल आबादी के बराबर या उससे अधिक पौधारोपण किया जाता है, लेकिन नतीजा अच्छा नहीं है। इस साल भी 20 लाख से ऊपर पौधे रोपे जाएंगे। इसके बावजूद हमारा जनपद में हरियाली का फीसद मानक पूरे नहीं कर पा रहा है। जनपद से गुजरने वाला जीटी रोड हो, अलीगढ़-आगरा हाईवे हो या फिर मथुरा-बरेली हाईवे। इनके चौड़ीकरण के चक्कर में हजारों विशालकाय पेड़ों की बलि दे दी गई, लेकिन उनके स्थान पर पौधे नहीं लगाए गए। खास बात यह है कि जीटी रोड के चौड़ीकरण के लिए काटे गए 3600 पेड़ों के बदले 7200 पेड़ लगाने का मुआवजा राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने फीरोजाबाद के वन विभाग को दे दिया। इसलिए यहां का वन क्षेत्र और कम होता चला गया।

यह है नियम : विकास कार्य व किसी अन्य जरूरी कार्य होने पर यदि किसी पेड़ को काटने की जरूरत पड़ती है तो संबंधित विभाग को एक पेड़ काटने के बदले दो लगाने पड़ेंगे। जैसे कि एनएचएआइ या पीडब्ल्यूडी सड़क चौड़ीकरण का काम करता है तो वह पेड़ कटवाने के बाद एक पेड़ के बदले दो लगाने का मुआवजा वन विभाग को देता है। यह पेड़ उसी क्षेत्र में आसपास लगाना जरूरी होता है। मगर ऐसा होता नहीं है। जीटी रोड और आगरा रोड पर काटे गए पेड़ इसका बड़ा उदाहरण हैं। इसी वजह से जिले में वन क्षेत्र लगातार घटता जा रहा है।

दूसरे जनपद में पौधारोपण : जीटी रोड के चौड़ीकरण में अलीगढ़ और एटा के बीच जनपद की सीमा में दोनों ओर लगभग 3600 छोटे-बड़े पेड़ लगे हुए थे। इन काटे गए पेड़ों के बदले 7200 पेड़ लगाने का मुआवजा एनएचएआइ ने फीरोजाबाद जनपद के वन विभाग दे दिया, जबकि यह मुआवजा हाथरस जनपद के वन विभाग को मिलना चाहिए था। पौधारोपण फीरोजाबाद में कर दिया गया। इससे हाथरस जनपद का वनक्षेत्र और कम हो गया। तब से नए पौधे नहीं लगाए गए।

आरा मशीनों पर पहुंचते हैं पेड़ : आरा मशीनों पर लाइसेंस के अनुसार गैरप्रतिबंधित पेड़ों को काटने का नियम है, मगर ऐसा नहीं होता है। बागों को काटने व चोरी छिपे विशालकाय पेड़ कटने के बाद यहीं पर चिराई होती है। कई बार पकड़े भी जा चुके हैं।

जनजागरूकता से रुकेगा अवैध कटान : हर साल पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस व अन्य मौकों पर पेड़ों का कटान न करने और पौधे लगाने का ज्ञान सामाजिक संस्थाओं, जनप्रतिनिधियों और अफसरों की ओर से दिया जाता है। फोटो भी खिचवाए जाते हैं मगर नतीजा यह होता है कि बिना रखरखाव के पौधे एक साल नहीं चल पाते हैं। छंटाई व अन्य कारणों से पेड़ों को कटवा दिया जाता है। इसलिए पेड़-पौधों का संरक्षण बिना जागरूकता के नहीं हो सकता है।

नहीं हो रही जीओ टैगिग : पौधे लगाने के बाद जीओ टैगिग जरूरी है लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है। जीओ टैगिग से पौधे के नाम और लोकेशन का रिकार्ड कंप्यूटराइज्ड हो जाता है। वर्जन

विकास कार्य में पेड़ों को काटने पर दो गुना पेड़ लगाना जरूरी होता है। जीटी रोड पर काटे गए 3600 पेड़ का मुआवजा फीरोजाबाद वन विभाग को एनएचएआइ ने दिया था, जबकि बदले में पौधारोपण आसपास के क्षेत्र में होना चाहिए। साथ ही पौधे लगाने के बाद जीओ टैगिग भी जरूरी होती है। इससे पौधे का स्थान और उसका नाम पता चल जाता है।

-एसआर ओझा, वन क्षेत्राधिकारी

बच्चों की तरह पौधों की जरूरत

पूरी करें, तब नहीं तोड़ेंगे दम

पौधे की वृद्धि के लिए जोताई-गोड़ाई केवल 15 से 30 सेंटीमीटर में की जाती है तब भोजन-पानी की उपलब्धता भी इसी गहराई से होती है, जबकि नीचे की मिट्टी अभेद्द व कठोर होती है। जब पौधों की जड़ें नीचे की ओर जाती है तो न ही आसानी से प्रवेश कर पाती है न ही उन्हें भोजन व जल उपलब्ध होती है। अंततोगत्वा पौधा जीवन के लिए संघर्ष करते करते दम तोड़ देता है। इसीलिए पौधे की •ारूरत के हिसाब से गड्ढा खोदा जाये, जिससे पौधे की मृत्यु न हो। शुरुआत में पौधे को जरूरत के हिसाब से सब कुछ मिलता रहता है लेकिन वृद्धि के समय परिस्थितियां प्रतिकूल होने लगती हैं और हम यह देखकर आश्चर्यचकित रह जाते हैं कि अच्छा भला पौधा तैयार हो जाने के बाद भी दम तोड़ देता है। पौधारोपण करने वाले सामाजिक संगठन, सरकारी विभाग पहले ये सुनिश्चित करें कि पौधारोपण से कम से कम एक माह पूर्व गड्ढा खुदवाया जाय और उसके पश्चात ही पौधारोपण हो, जिससे सफलता शत-प्रतिशत रहे। पौधे के लिए जरूरी है कि मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में नमी व वायु संचरण अनवरत बना रहे। इसका एक ही उपाय है कि गड्ढे का पर्याप्त आकार और भुरभुरापन हो, जिससे अधिक से अधिक जल अवशोषित कर पौधे को आसानी से जल उपलब्ध कराए। बाजार से पौधे लेकर उन्हें रोपित करना बहुत आसान है लेकिन जरूरत के अनुसार उन्हें पोषण देना मुश्किल होता।

-डा. वीरेंद्र प्रताप सिंह, प्रवक्ता, केएल जैन इंटर कॉलेज

chat bot
आपका साथी