राज्यपाल ने दिव्यांगजन और श्रमिकों की मेधावी बेटियों को दीं साइकिलें

राज्यपाल से साइकिल पाकर मुस्कुरा उठीं बेटियां राज्यपाल ने जाना हाल दिव्यांगजनों से राज्यपाल ने पूछा कि आत्मनिर्भर बनने को क्या करती हो।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Feb 2021 02:05 AM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 02:05 AM (IST)
राज्यपाल ने दिव्यांगजन और श्रमिकों की मेधावी बेटियों को दीं साइकिलें
राज्यपाल ने दिव्यांगजन और श्रमिकों की मेधावी बेटियों को दीं साइकिलें

जागरण संवाददाता, हाथरस : प्रशासन ने राज्यपाल के हाथों में श्रमिकों की बेटियों को साइकिल और दिव्यांग महिलाओं को ट्राइसाइकिल का वितरण भी कराया। दिव्यांगजन महिलाएं एवं बेटियां दोपहर 11 बजे से ही राज्यपाल का इंतजार कर रही थीं। राज्यपाल देर से पहुंचीं।

राज्यपाल ने ट्राइसाइकिल व साइकिल वितरण के दौरान दिव्यांग महिलाओं से यह भी पूछा कि वे कोई काम भी करती हैं तो एक महिला बोली कि वह कुछ नहीं करती, मगर अफसरों का इशारा पाया तो दूसरी महिला बोली कि हां, परचून का काम है।

दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की ओर से 21 लाभार्थियों को ट्राइसाइकिल एवं 16 बैसाखी का वितरण किया गया। राज्यपाल ने दिव्यांगों से आत्मनिर्भर बनने के लिए शासन की योजनाओं के माध्यम से रोजगार अपना कर स्वावलंबी बनने को कहा। संत रविदास शिक्षा सहायता योजना के अंतर्गत श्रम विभाग में पंजीकृत श्रमिकों की बालिकाओं को जिन्होंने हाईस्कूल तथा इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की है, ऐसी 21 छात्राओं को साइकिल की चाबी दी। इनका कहना है

बहुत खुशी हो रही है कि हमें राज्यपाल साइकिल की चाबी देंगी। हमने तो कभी सोचा भी नहीं था कि इतने बड़े पद पर बैठी महिला को देखने और और उनके हाथों से साइकिल की चाबी पाने का सम्मान मिलेगा।

कविता, श्रमिक की बेटी ये सच है कि परिवार इतना संपन्न नहीं है कि हम साइकिल खरीद पाएं। मगर सरकार की ओर से मिल रहा साइकिल का तोहफा काफी महत्वपूर्ण है। यह साइकिल भी हमको राज्यपाल की ओर से दिलवाई जा रही है।

शिवानी, श्रमिक की बेटी। सरकार की ओर से ट्राइ साइकिल का तोहफा बहुत अच्छा लग रहा है। योगी सरकार अच्छा काम कर रही है। हम जैसी तमाम महिलाएं और बेटियों को ट्राइसाइकिल बांटी जा रही हैं। मौका भी ऐसा है कि जब राज्यपाल को करीब से देखने का मौका मिला है।

शबाना, दिव्यांगजन। सरकार की ओर से ट्राइसाइकिल के लिए एक दिन पहले ही सूचना मिली थी। फौरन किसी साधन से पुलिस लाइन आईं हैं। तब खुशी और ज्यादा हुई जब यहां आकर ये पता चला कि हमें ट्राइसाइकिल राज्यपाल के हाथों मिलना है।

ललिता, दिव्यांगजन।

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