बरगद लगाकर जिदगी को दें ऑक्सीजन की वैक्सीन

आज महिलाएं रखेंगी वट सावित्री व्रत इस दिन बरगद का एक पौधा लगाने का ले रहीं संकल्प।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 10 Jun 2021 12:51 AM (IST) Updated:Thu, 10 Jun 2021 12:51 AM (IST)
बरगद लगाकर जिदगी को दें ऑक्सीजन की वैक्सीन
बरगद लगाकर जिदगी को दें ऑक्सीजन की वैक्सीन

जासं, हाथरस : गुरुवार का दिन अहम है, क्योंकि महिलाएं वट सावित्री व्रत रखेंगी। घर-घर इसकी पूजा की जाएगी। प्रति वर्ष इसे एक पर्व के रूप में मनाया जाता है। वट यानि बरगद का वृक्ष हमारे जीवन के लिए अनमोल है। धार्मिक महत्व के साथ इसका औषधीय और पर्यावरणीय महत्व भी है। बरगद एक ऐसा विशालकाय वृक्ष है जो कि अन्य पेड़ों की तुलना में अधिक ऑक्सीजन देता है। जीवन में पानी के साथ दूसरी जरूरी चीजों में ऑक्सीजन ही शामिल है। इसी ऑक्सीजन की कमी से कोरोना की दूसरी लहर में हमने न जाने कितने लोगों को खो दिया। इसलिए इसका मोल पहचानना होगा। महिलाएं इस पेड़ की महत्ता को देखते हुए एक पौधा लगाने का संकल्प ले रही हैं। आक्सीजन का संकट देखते हुए सरकारी विभाग और लोग भी इसका महत्व समझने लगे हैं।

कोई मोल नहीं है बरगद का

बरगद का वृक्ष हमारे जीवन के लिए अहम है। आयुर्वेद में इसकी जड़, तना, पत्ती, फल, फूल का प्रयोग किया जाता है। इससे कई तरह की औषधियां तैयार की जाती हैं। इसकी छाया अन्य पेड़ों की तुलना में अलग है। तेज धूप से छाया का आनंद देती हैं। साथ ही हल्की बारिश होने पर भी बचाती हैं। धार्मिक महत्व की बात करें तो पूजा के बाद इस वृक्ष के नीचे बैठकर कथा सुनने का धार्मिक ग्रंथों में विशेष महत्व बताया गया है। वैज्ञानिक मान्यता है कि इसके अधिक से अधिक से पौधे लगाए जाने चाहिए ताकि पर्यावरण संतुलन अच्छा बना रहे। हम लेते हैं संकल्प

बरगद हमारे लिए धार्मिक महत्व के साथ पर्यावरण के लिए हितकारी है। 10 जून को वट सावित्री व्रत रखेंगे। इस दिन हमने एक पौधा लगाने का संकल्प लिया है। इसकी देखभाल भी करेंगे।

-भारती गुप्ता, सहपऊ कोरोना काल में ऑक्सीजन की कमी से लोगों ने वृक्षों का महत्व समझा है। महिलाएं तो लंबे समय से हर साल बरगद की पूजा करती आ रही हैं। हम अपने घर के पास एक पौधा जरूर लगाएंगे।

-ममता तिवारी, सहपऊ वट सावित्री व्रत महिलाओं के लिए अहम है। वे अपने पति की दीर्घायु के साथ परिवार की खुशहाली की कामना करती हैं। मैंने बरगद का पौधा लगाने का संकल्प लिया है। इसका बच्चों की तरह पालन करूंगी।

-मधु गुप्ता, सहपऊ

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