बेरोजगारी की ठोकरों से मिला ठिकाना
चमका सितारा रोजगार की तलाश ने धीरेंद्र को बना दिया आत्मनिर्भर।
विनय चतुर्वेदी, सिकंदराराऊ (हाथरस) : कभी घर से रोजगार की तलाश में निकलने वाले गांव खेड़ा सुल्तानपुर के धीरेंद्र यादव अब आत्मनिर्भर बनकर नई पीढ़ी को आईना दिखा रहे हैं। उन्होंने ऐसी सोलर पैनल युक्त पंप तैयार की है, जिससे सिंचाई का खर्चा 60 फीसद तक कम हो गया है। महंगा डीजल व बिजली संकट का रोना भी खत्म हुआ।
ऐसे मिली प्रेरणा : कुछ समय पहले धीरेंद्र रोजगार की तलाश में हरियाणा गए थे। वहां उन्होंने सोलर पैनल युक्त पंप देखा तो उनके दिमाग में क्षेत्र के किसानों के लिए योजना जागृत हो गई। उन्होंने भी वैसा ही सोलर सिस्टम गांव तक लाने की ठानी।
रोजगार का साधन बना :
सोलर पैनल सिस्टम को उन्होंने ट्रॉली पर स्थापित कर दिया है। इससे वे किसानों के खेतों पर जाकर उन्हें सिचाई की सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं। इसमें उन्हें डीजल आदि का खर्चा काटकर आठ सौ से नौ सौ रुपये प्रतिदिन की बचत हो जाती है। वह नए सोलर पंप भी तैयार कर रहे हैं।
सस्ती सिचाई सुविधा : किसानों को डीजल से सिचाई करने में करीब डेढ़ सौ रुपये प्रति घंटे का खर्च आता था। सोलर पंप से उन्हें मात्र अस्सी रुपये प्रति घंटे में सिचाई सुविधा मिल रही है। ट्रैक्टर-ट्राली के माध्यम से पंप खेतों में बोरिग तक आसानी से पहुंच जाता है। इनका कहना है
अब हम अपने खेतों में सोलर पैनल वाली पंप से ही पानी लगवाते हैं। इससे सिचाई का खर्चा सस्ता पड़ता है।
-जय सिह, किसान ट्राली पर सोलर पंप से छोटे किसानों को बहुत लाभ मिल रहा है। बोरिग को सोलर पैनल से चलाने की तकनीक भी अच्छी है।
-हरिओम यादव, किसान यह राह आसान भी नहीं थी। इस सिस्टम को लगाने के लिए काफी पैसा चाहिए था। परिवार के लोगों की सहायता से यह सिस्टम तैयार किया।
-धीरेंद्र यादव, सोलर पंप संचालक