विदेशी खीरे की खेती ने किया मालामाल
हालैंड से आता है बीज अन्य राज्यों में बिक्री को भेजते हैं यहां से खीरा एक साल में लेते हैं तीन फसल 40 लाख रुपये तक की होती है कमाई।
किशोर वाष्र्णेय, हाथरस : खेती में लगातार हो रहे घाटे से उबरने के लिए फसलों में नई-नई तकनीकों व विधियों का प्रयोग किया जा रहा है। किसान परंपरागत तरीकों को छोड़कर नए तरीके अपना रहे हैं। ऐसा ही एक प्रयोग सादाबाद क्षेत्र के गांव अरौठा निवासी किसान रोहिताश चौधरी ने किया है, जो बेहद सफल रहा है। फसलों में लगातार घाटा झेल रहे रोहिताश को विदेशी खीरे की फसल से करीब 40 लाख रुपये सालाना की आमदनी हो रही है।
पॉलीहाउस देख मिली प्रेरणा
हाथरस जिले की तहसील सादाबाद के गांव अरौठा निवासी रोहिताश चौधरी चार वर्ष पहले तक आलू की फसल करते थे। इसमें लगातार घाटा झेलने से वे खेती करने का विचार ही त्याग बैठे थे। उन्होंने कटनी (मध्य प्रदेश) में अपनी बुआ के यहां पॉली हाउस में खेती को देखा। इसके बाद उन्होंने उसी तरीके से वर्ष 2017 में करीब पांच बीघा में खेती शुरू की।
ऐसे तैयार होती है फसल
चाइनीज खीरे की फसल के लिए जोताई के साथ मेड़ बनाकर ग्रिप तैयार कर उनमें पौधे लगाते हैं। बढ़ते हुए पौधे को धागे से ऊपर बांध देते हैं। दो लोग ड्रिप के माध्यम से पानी व दवा लगाने का काम करते हैं। खराब हुए पौधे को अलग कर देते हैं। इसकी खेती में खारे पानी की जगह मीठे पानी से सिचाई की जाती है। फायदे का सौदा बना विदेशी खीरा
रोहिताश ने बताया कि यह खीरा 'चाइनीज' नाम से बाजार में बिकता है। होटलों में इसकी सप्लाई होती है। खीरे का बीज हालैंड से आता है। इसमें डीएपी व एनपीके खाद का प्रयोग किया जाता है। पांच बीघा फसल में ढाई से तीन लाख रुपये का खर्च आता है। एक बीघे में 10 टन के करीब खीरे का उत्पादन होता है। खीरे की कीमत 30 रुपये प्रति किलो तक रहती है। इस प्रकार पचास टन में कुल 15 लाख रुपये के करीब खीरे की बिक्री होती है। मई से सितंबर तक खीरे के दाम 40 रुपये से अधिक पहुंच जाते हैं। इस प्रकार एक फसल में 13-14 लाख रुपये के करीब मुनाफा हो जाता है। एक वर्ष में तीन फसल
यह फसल 45 दिन में तैयार हो जाती है। इसके बाद अगले डेढ़ माह तक इसका कटान चलता है। एक फसल में 13-14 लाख रुपये तक बच जाते हैं, इस प्रकार पूरे साल में तीन फसलों में 40 लाख रुपये तक की कमाई हो जाती है। इस खीरे की सप्लाई आगरा, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा सहित अन्य राज्यों के शहरों में भेजा जाता है।
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