फूड प्रोसेसिग उद्योग चमका, नहीं है लैब
फूड प्रोसेसिग का कारोबार लगातार आसमान छू रहा है। उद्योग चलाने के लिए सरकारी मानक तो हैं लेकिन इस कारोबार से जुड़े लघु उद्यमियों के लिए सरकारी प्रोत्साहन की कमी खल रही है।
जासं, हाथरस : फूड प्रोसेसिग का कारोबार लगातार आसमान छू रहा है। उद्योग चलाने के लिए सरकारी मानक तो हैं लेकिन इस कारोबार से जुड़े लघु उद्यमियों के लिए सरकारी प्रोत्साहन की कमी खल रही है। सरकारी स्तर पर प्रयोगशाला न होने के कारण उन्हें अतिरिक्त खर्च के साथ समय भी खर्च करना पड़ रहा है।
ये हैं हालात : शहर में हींग, अचार, मुरब्बा के अलावा मसाला, नमकीन, चुर्री बनाने का कारोबार लगातार विस्तार कर रहा है। इस कारोबार में खाद्य पदार्थ तैयार करने से पहले कच्चे और तैयार माल का प्रयोगशाला में परीक्षण भी करना पड़ता है। अच्छे उपकरण के साथ योग्य केमिस्ट की भी जरूरत पड़ती है। जो उद्यमी सक्षम हैं, उन्होंने अपने खर्च से लैब तैयार कर रखी हैं। जो सक्षम नहीं हैं उनके पास लैब के इंतजाम नहीं है। यहां सरकारी स्तर पर कोई लैब नहीं है।
समय के साथ खर्च भी अधिक : सरकारी लैब नहीं होने के कारण उद्यमियों को दिल्ली, लखनऊ और अन्य शहरों में जाना पड़ता है। इसमें छह से सात हजार रुपये का खर्च आता है और कई दिन भी लग जाते हैं। इस कारण कारोबार को चलाने में दिक्कत आती हैं। बोले उद्यमी
लैब चलाना आसान नहीं है। योग्य केमिस्ट की भी जरूरत पड़ती है। इस पर खर्च अधिक आता है। ऐसे में सरकार की ओर लैब की सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए।
धीरेंद्र कुमार वाष्र्णेय, कारोबारी फूड प्रोसेसिग का कारोबार लगातार बढ़ रहा है। यहां पर लैब नहीं है। लैब न होने के कारण कारोबार चलाने में दिक्कतें आती हैं। लघु उद्यमियों की समस्याएं दूर करनी चाहिए।
प्रमोद कुमार गुप्ता, कारोबारी