छत पर बगिया करा रही प्रकृति के पास रहने का अहसास

व्यापारी नेता विपिन वाष्र्णेय के बचपन के शौक के अछे परिणाम फूलों और फलों के लगा रखे हैं 5000 से अधिक पौधे।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 12 Jul 2021 06:00 AM (IST) Updated:Mon, 12 Jul 2021 06:00 AM (IST)
छत पर बगिया करा रही प्रकृति के पास रहने का अहसास
छत पर बगिया करा रही प्रकृति के पास रहने का अहसास

विनय चतुर्वेदी, हाथरस : लगातार किए जाने वाले प्रयास का परिणाम सुखदायी होता है। कभी-कभी असंभव लगने वाली चीजें भी संभव होती दिखती है। बचपन में पौधे लगाने का शौक क्या हुआ कि जनाब ने अपने घर की छत को ही बगीचा बना दिया। रासायनिक उर्वरकों से तैयार बाजार में बिक रही सब्जी के नुकसान को देखते हुए छत पर ही सब्जियों की खेती शुरू कर दी। जहां आर्गेनिक खाद डालकर सब्जी का स्वाद पूरा परिवार चख रहा है, वहीं पास-पड़ोस के लोग भी गमले में उगी सब्जियों को स्वादिष्ट बता रहे हैं।

सिकंदराराऊ में व्यापारी नेता विपिन वाष्र्णेय ने अपने घर की छत को ही बगिया बना दिया है। फूलों के साथ-साथ सब्जियों की भी पैदावार शुरू हो गई है। छोटे से कस्बे में लोग सोच भी नहीं सकते कि छत पर बगिया बन सकती है, लेकिन उनके लगातार प्रयास और पर्यावरण के प्रति प्रेम ने इसको संभव बना दिया। आज पूरे देश में लोग कोरोना काल के समय आक्सीजन की भारी कमी को देख चुके हैं और पौधारोपण पर जोर दे रहे हैं। ऐसे में व्यापारी नेता की मेहनत की बगिया मिसाल है। वह लोगों को प्रेरित कर रहे हैं।

विपिन वाष्र्णेय बताते हैं कि वह पौधों की उन्नति के लिए किसी भी तरह के रसायन का इस्तेमाल नहीं करते हैं। वर्मी कंपोस्ट खाद का प्रयोग करते हैं। रसोई का वेस्ट मैटेरियल का इस्तेमाल भी पौधों के लिए करते हैं। इससे दो फायदे होते हैं। पौधों को देसी खाद मिलता है और रसोई से निकलने वाले गीले कचरे से बाहर गंदगी नहीं होती। छत पर 5000 पौधे :

विपिन वाष्र्णेय शिक्षण संस्थानों का संचालन करते हैं। उनके ग्रुप द्वारा स्कूल, डिग्री कॉलेज तथा मेडिकल कॉलेज संचालित किये जा रहे हैं। उन्होंने 600 वर्गगज के एक नया मकान पांच साल पहले बनवाया है। घर की छत पर करीब 5000 पौधों की बगिया बनाई है, जिसमें कई प्रकार की सुगंधित फुलवारी में बेला, चमेली, गुलाब के अलावा गुड़हल, क्लांचु, सदाबहार, कन्नेर व अन्य प्रकार के पौधे हैं। आक्सीजन लेवल बढ़ाने वाले एरिका, पाम, स्नेक प्लांट, मनी प्लांट, बैंबू प्लांट, पारिया, आमला, शमी के अलावा फलदार पौधों में अमरूद, आम, केला, नीबू, मौसमी, चीकू, संतरा, पपीता, अंजीर, माल्टा तथा सब्जियों में मिर्च, शिमला मिर्च, गोभी, खीरा, तोरई, लौकी, बैंगन, करेला, काशीफल, पालक, खरबूज, तरबूज व अन्य पौधे छत पर लगाए हैं। वह लगभग हर वर्ष 1000 पौधे अपने विद्यालयों में लगाते हैं और अब तक वह लगभग 10,000 पौधे लगा चुके हैं, जिनका जीवित रहने का आंकड़ा 90 फीसद है। ऐसे करते हैं पौधों की देखरेख

बकौल विपिन वाष्र्णेय प्रतिदिन करीब तीन घंटे पौधों की देखभाल में बिताते हैं। सुबह कालेज जाने से पहले शाम को आने के बाद वे एक-एक पौधे की देखरेख करते हैं। पौधों में पानी देना, उनकी कटाई-छंटाई करना। बोन साइज पौधे का आकार कैसे बनाया जाए? इसका पूरा ध्यान रखते हैं। अब तो वे खुद ही गमले में पौधे लगाकर गार्डनिग करते हैं। इस कार्य में उनकी पत्नी नगर पालिका परिषद की पूर्व अध्यक्ष वर्षा वाष्र्णेय भी पूरा सहयोग करती हैं। दीवार भी निखर उठी

उन्होंने बताया कि छत व दीवार पर बोतल के छोटे-छोटे गमले बनाकर लगा दिए। इसमें फूलदार विविध प्रकार के पौधे लगाए हैं। इससे दीवार निखर उठी। अब जो भी छत पर आता है। उसकी नजर सबसे पहले दीवार पड़ ही पड़ती है। इसमें विविध प्रकार के लगे फूल से दीवार निखर उठी है। वर्जन-

प्रकृति के करीब रहने पर सुखद अहसास होता है। आक्सीजन स्तर दुरुस्त बना रहता है और स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है। यहां तक कि पेड़-पौधों के साथ जुड़ाव रहने और उनकी देखभाल करते रहने से मानसिक तनाव भी दूर हो जाता है। प्रयास रहता है कि घर पर ही प्राकृतिक नजारा मिल सके। सभी लोगों को पौधारोपण अवश्य करना चाहिए। साथ ही पौधों की देखभाल भी करनी चाहिए।

-विपिन वाष्र्णेय, नगर अध्यक्ष, उद्योग व्यापार मंडल सिकंदराराऊ

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