आपदा में देते रहे रोजगार का अवसर
कोरोना काल में जहां रोजगार छिन रहे थे कारखानों पर ताला लगने से कामगार बेरोजगार हो गए थे।
जासं, हाथरस : कोरोना काल में जहां रोजगार छिन रहे थे, कारखानों पर ताला लगने से कामगार घरों को लौट रहे थे, इस बीच शहर में कुछ उद्यमी ऐसे भी थे जिन्हें अपने यहां कामगारों की चिता थी। उन्हें काम देकर उनकी रोजी-रोटी बनाए रखी। हाथरस के प्रमुख उद्यमी नितिन वाष्र्णेय उन्हीं उद्यमियों में से एक हैं। उनका मसाले का कारोबार है और इस कारोबार में सैकड़ों लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से आज भी रोजगार दे रहे हैं।
बिगड़ रहे थे हालात: मार्च के आखिर में जब कोरोना काल शुरू हुआ था, लाकडाउन लगने से उद्योग-धंधे भी प्रभावित थे। ऐसे में कारोबार भी सिमटने लगे थे। बाहर से भी लोग लौट रहे थे। लाकडाउन के पहले चरण में यहां के उद्योग-धंधों पर असर पड़ रहा था। खाने-पीने की जरूरतों को देखते हुए यहां फूड प्रोसेसिग से जुड़े उद्योग ही चल पा रहे थे। शुरू के एक महीने में दिक्कतें काफी रहीं। फिर हालात सामान्य होते चले गए।
रोजगार के देते रहे अवसर : नवीपुर निवासी नितिन वाष्र्णेय की मसाले की फैक्टरी है। उनके यहां सैकड़ों लोग काम करते हैं। कोरोना काल की विषम परिस्थितियों को लेकर उन्हें अपने कारोबार के साथ सालों से काम कर रहे उन मजदूरों की भी चिता थी, जिनकी वजह से उनका कारोबार यहां तक पहुंचा। उन्होंने उनकी जरूरत भी समझी। उन्होंने किसी कर्मचारी को नहीं निकाला और उनकी रोजी-रोटी बरकरार रखी।
कोरोना काल हमारे लिए बड़ी चुनौती भरा था। अपने कारोबार के साथ उन सैकड़ों लोगों की चिता थी जो हमारे यहां लंबे समय से काम कर रहे थे। हमने किसी कर्मचारी को नहीं निकाला और लगातार रोजगार देते रहे।
नितिन वाष्र्णेय, उद्यमी