जल स्तर बढ़ाएगा देसी हार्वेस्टिग सिस्टम
हाथरस के वाटरवर्क्स कॉलोनी निवासी जेपी तिवारी ने जल संरक्षण की निकाली नई तरकीब।
केसी दरगड़, हाथरस : जहां भूगर्भ जल का लगातार दोहन हो रहा है और उसके बदले रेनवाटर हार्वेस्टिग व अन्य माध्यमों से भूगर्भ जल रिचार्ज नहीं हो रहा है, ऐसी स्थिति जल संकट बढ़ा सकती है। हाथरस के पर्यावरणविद जेपी तिवारी ने ऐसी स्थिति से निपटने और भूगर्भ जल बढ़ाने के लिए देसी तरकीब निकाली है, जिसे आसानी से सभी लोग अपने घरों में लगाकर भूगर्भ जल रिचार्ज कर सकते हैं।
ऐसे मिली प्रेरणा : शहर में पोखरें खत्म होती जा रही हैं। कच्ची जमीन का हिस्सा कम होता जा रहा है। पक्की सड़कों और इंटरलॉकिग से बारिश का पानी जमीन में नहीं जा पा रहा है। घरों से निकला पानी और बारिश का पानी यूं ही नालियों में बह जाता है। इसी पानी को साफ कर जमीन में छोड़कर भूगर्भ जल बढ़ा सकते हैं। इसी सोच के साथ जेपी तिवारी ने जल संरक्षण के लिए काम शुरू किया।
ऐसे तैयार किया सिस्टम : आंगन में या घर से कुछ दूरी पर जमीन में एक दस फुट गहरा गड्ढा खोदा जाता है। इसकी लंबाई और चौड़ाई करीब छह से सात फुट होती है। इस गड्ढे में पहले मोटी कच्ची रोड़ी डाली जाती है। उसके ऊपर छोटी कच्ची रोड़ी बिछाई जाती है। इसके बाद सबसे ऊपर बालू की पर्त बिछाई जाती है। रोड़ी और बालू की पर्त मिलाकर तीन से चार फुट आती है। उसके ऊपर एक प्लास्टिक का ड्रम रखते हैं। इसमें छेद किए जाते हैं और इसमें कच्ची रोड़ी भी बिछाई जाती है। रसोई और स्नानगृह से जहां पानी निकलता है वहां पर जाली से छना हुआ पानी पाइप के माध्यम से प्लास्टिक के ड्रम तक ले जाते हैं। इसमें आरओ मशीन से निकला हुआ बेकार पानी भी छोड़ा जा सकता है। प्लास्टिक के ड्रम से पानी होता हुआ बालू और रोड़ी से छनकर जमीन में जाता है। जमीन के अंदर भूगर्भ जल तक पहुंचने के लिए कई पर्त से पानी छनकर जमीन के अंदर जाता है।
बारिश का पानी करते हैं संचय : वर्षा जल संचय के लिए छत और आंगन में इकट्ठा होने वाले पानी को जमीन के अंदर पाइप डालकर छोड़ा जा सकता है। घर में सबमर्सिबल की बोरिग खराब होने पर उस बोरिग को भूगर्भ जल रिचार्ज करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इन्हीं पाइपों के जरिए बारिश का पानी जमीन के अंदर जाली लगाकर भेज सकते हैं। शहरों में हैंडपंप की खराब होने वाली बोरिग का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
तीन साल से कर रहे काम : वाटर वर्क्स कॉलोनी निवासी जेपी तिवारी बताते हैं वह यह काम तीन साल से कर रहे हैं। लोगों को लगातार जागरूक किया जा रहा है। इस तरकीब से भूगर्भ जल बढ़ाने में काफी मदद मिल सकती है। देहात और शहर में कहीं भी इसे तैयार कर सकते हैं। प्रशासन और नगर पालिका के सामने इस मॉडल को रखा है।