निजीकरण के साथ ही बैंकिग कानून (संशोधन) विधेयक के विरुद्ध प्रदर्शन
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर निजीकरण व बैंकिग कानून (संशोधन) विधेयक-2021 के विरोध करने की मांग को लेकर केनरा बैंक की मुख्य शाखा पर बैंक अधिकारियों व कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया।
जासं, हाथरस : यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर निजीकरण व बैंकिग कानून (संशोधन) विधेयक-2021 के विरोध करने की मांग को लेकर केनरा बैंक की मुख्य शाखा पर बैंक अधिकारियों व कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया।
मंगलवार को धरने को संबोधित करते हुए फोरम की जिला इकाई के संयोजक बीएस जैन ने कहा कि तत्कालीन बैंक निजी हाथों में थे और उनमें से कई बड़े औद्योगिक और व्यापारिक घरानों के स्वामित्व में थे। 1969 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 14 प्रमुख निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया और उसके बाद 1980 में छह और बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ। राष्ट्रीयकरण के बाद बैंक आम जनता तक पहुंचने लगे। ग्रामीण क्षेत्रों और दूर-दराज के गांवों में बैंक शाखाएं खुलने लगीं। अब पूरे देश में बैंक अधिकारी और कर्मचारी सरकार की निजीकरण नीति का विरोध कर रहे हैं और बैंकिग कानून (संशोधन) विधेयक 2021 का भी विरोध कर रहे हैं। मांग कर रहे हैं कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को सुदृढ़ किया जाए।
ग्रामीण बैंक अधिकारी एसोसिएशन के महामंत्री जीके शर्मा ने कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनाने में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का बहुत बड़ा योगदान है। सरकार को अपनी निजीकरण नीति पर विचार करना चाहिए। मुकेश कुमार ने कहा कि आम आदमी को सुविधाजनक, किफायती बैंकिग सेवाओं से वंचित करना उचित नहीं है।
यूपी बैंक इंप्लाइज यूनियन के अध्यक्ष वीके शर्मा ने कहा कि जब सरकार ने 2021 के बजट में दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण करने की घोषणा की, तब पूरे देश में बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों ने मार्च 2021 में दो दिन हड़ताल कर सरकार के निर्णय पर विरोध जताया था, परंतु सरकार ने विरोध पर विचार नहीं किया, जो दुखद है।
इस दौरान यतेश गर्ग, डीसी गुप्ता, अजय कुमार, सोनू कुमार, ओमप्रकाश, अशोक कुमार, उमाशंकर जैन, अशोक शर्मा, अमन कुमार, नन्नू मल, रवि राकेश, अनेक सिंह, देवेंद्र शर्मा, राजेंद्र सिंह, अरविद जैन, सुरेश कुमार, पुष्पांकर जैन का सहयोग रहा।