कागजी आरोग्य केंद्र से नहीं हो पा रहे निरोग

महिला डाक्टर और लैब टेक्नीशियन की है कमी एएनएम ही कराती हैं डिलीवरी।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 05 Jun 2021 05:13 AM (IST) Updated:Sat, 05 Jun 2021 05:13 AM (IST)
कागजी आरोग्य केंद्र से नहीं हो पा रहे निरोग
कागजी आरोग्य केंद्र से नहीं हो पा रहे निरोग

संसू, हाथरस : ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने की पहल नहीं हो रही है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) पोरा को आयुष्मान भारत योजना के तहत आरोग्य केंद्र व हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का कागजी चोला तो पहना दिया, लेकिन न सुविधा दी, न विशेषज्ञ। स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीणों की कसौटी पर खरा नहीं उतर रहा है। महिला चिकित्सक न होने पर एएनएम ही डिलीवरी कराती है। एंबुलेंस के अभाव में प्रसूता को लोग अपने ही वाहन से ले जाते हैं। गंभीर स्थिति में अपने साधन से ही सिकंदराराऊ या हाथरस ले जाना पड़ता है। लैब तो है मगर खून की जांच के लिए हसायन जाना पड़ता है।

स्टाफ की स्थिति : पुरदिलनगर क्षेत्र का पोरा गांव कस्बानुमा है। आसपास के कई गांव के लोग इलाज के लिए पीएचसी पोरा पर निर्भर हैं। इस अस्पताल में दो डॉक्टर हैं, लेकिन महिला डॉक्टर नहीं है। लैब तो है कितु टेक्नीशियन की नियुक्ति न होने के कारण खून की जांच के लिए पीएचसी हसायन भेजा जाता है, वहां से दूसरे -तीसरे दिन रिपोर्ट आती है। एक्सरे व अन्य जांच की सुविधाएं भी नहीं है।

भवन की स्थिति : पीएचसी में बने चिकित्सक व कर्मचारियों के आवासों के ताले आज तक नहीं खुले। अब वे जर्जर हालत में हैं। रात में डॉक्टर और स्टाफ यहां नहीं रहता है। परिसर में कई वर्ष पूर्व पानी की व्यवस्था के लिए नलकूप लगाया गया। पानी की टंकी को अराजक तत्व चुराकर ले गए। इसके बाद नलकूप बंद हो गया। पानी की व्यवस्था के लिए एक हैंडपंप और सबमर्सिबल लगी हुई है, जिससे यहां का चौकीदार अस्पताल परिसर में सब्जियां उगाता है और फुलवारी व पेड़-पौधे लगा रखे हैं, जो देखने में अच्छे लगते हैं। मुख्य गेट पर लगा हैंडपंप खराब पड़ा है। बोले ग्रामीण

अस्पताल में टेक्नीशियन न होने के कारण खून की जांच नहीं हो पाती है। उसके लिए हसायन जाना पड़ता है। समय पर रिपोर्ट नहीं मिल पाती है।

-प्रेम प्रकाश शर्मा, सिधौली महिला चिकित्सक व लैब टेक्नीशियन के साथ एक्स-रे व अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था कराई जाए तो इस पिछड़े क्षेत्र के लोगों को गांव में ही इलाज मिले।

-सुभाष चंद्र यादव, पोरा वर्जन

हमारे यहां स्टाफ पूरा है तथा डिलीवरी के समय फोन करके एंबुलेंस को बुलाया जाता है। शासन से मिलने वाली दवाओं से लोगों का उपचार किया जाता है।

डॉ. अंकुर सिंह, प्रभारी पीएचसी, पोरा

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