बेहतर दिनचर्या से जिदगी की 'शाम' में दिखते हैं जवां

विश्व खाद्य दिवस पूर्व विधायक अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी व शिक्षकों की सेहत के राज।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 04:39 AM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 04:39 AM (IST)
बेहतर दिनचर्या से जिदगी की 'शाम' में दिखते हैं जवां
बेहतर दिनचर्या से जिदगी की 'शाम' में दिखते हैं जवां

जासं, हाथरस : शनिवार को विश्व खाद्य दिवस है। खाद्य पदार्थों में मिलावट और नकली होने के कारण आज के दौर में फिट रहना बड़ी चुनौती है लेकिन आज भी समाज में तमाम लोग ऐसे हैं जो शुद्ध आहार-विहार के कारण फिट हैं और नई पीढ़ी के लिए आदर्श बने हुए हैं। हम ऐसे ही प्रतिष्ठित लोगों की दिनचर्या और खानपान के बारे में बताने जा रहे हैं। ताकि आप भी इन्हीं की तरह आजीवन स्वस्थ बने रहें। 150 बादाम और 20 किलोमीटर पैदल ताऊ की सेहत का राज

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जिदगी के 84 वसंत पार कर चुके पूर्व विधायक रामशरण आर्य 'लहटू ताऊ' अपने खानपान और दिनचर्या से बुढ़ापे में नौजवान जैसे दिखते हैं। उनके शरीर में फुर्ती इस बात की गवाह है कि वे कितने फिट हैं। दिन में 150 बादाम और एक किलो दूध लेने के साथ 20 किलोमीटर रोजाना चलना उनकी फिटनेस का राज है। सादाबाद तहसील के गांव मढ़नई निवासी लहटू ताऊ आज भी तड़के तीन बजे उठते हैं। सुबह टहलने के साथ योग-प्राणायाम भी करते हैं। इसके बाद बादाम पिसवाकर एक किलो दूध के साथ पीते हैं। दिन भर पैदल ही भागदौड़ करते हैं। हर किसी के काम के लिए तैयार रहते हैं। राजनीति में भी उन्होंने मात नहीं खाई। गांव में निर्विरोध प्रधान बने। इसके बाद जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीते। विधायक विशंभर सिंह के निधन पर 2001 के विधानसभा उपचुनाव में रालोद की टिकट पर विधायक बने। इतनी उम्र में भी उनकी सेहत को देखकर लोग उनकी सेहत का राज जानना चाहते हैं और अमल भी करते हैं। पूर्व विधायक लहटू ताऊ दावे के साथ कहते हैं कि यदि सुबह चार बजे उठें और खानपान शुद्ध रखने के साथ संयम के साथ जीवन जीएं तो कोई बीमारी नहीं लग सकती है। राजवीर पहलवान अपनी प्राचीन

पद्धति से जी रहे स्वस्थ जीवन

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58 वर्षीय अंतरराष्ट्रीय पहलवान राजवीर सिंह अपनी सेहत का राज प्राचीन पद्धति से जीवन जीने की कला को मानते हैं। आज भी शहर के पाश इलाके बसंत बाग में गांव की तरह जीवन जी रहे हैं। सुबह पांच बजे उठकर देसी खानपान और दिनचर्या के बल पर खुद को फिट रखते हैं। सुबह उठने के बाद टहलने के साथ दंड बैठक कर पसीना बहाते हैं। सुबह एक किलो मट्ठा व रात को एक किलो दूध पीना उनकी दिनचर्या में शुमार है। शुद्ध सरसों का तेल और देसी घी के अलावा चिकनाई में और कुछ नहीं खाया। खाने में दलिया और उड़द दाल अधिक पसंद है। शरीर को फिट रखते हुए 1982 में एशियाड में सिल्वर मेडल जीतने के साथ कुश्ती की विश्व चैंपियन प्रतियोगिता में भाग ले चुके हैं। इसके अलावा कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया है। राजवीर सिंह आज की पीढ़ी के बारे में कहते हैं कि कृत्रिम रूप से बाजार में मिलने वाले ताकत बढ़ाने की वस्तुएं इस्तेमाल नहीं करनी चाहिए, क्योंकि यह केमिकलयुक्त होती हैं। प्राचीन पद्धति से देसी खानपान और व्यायाम से शरीर को फिट रखना चाहिए। नियमित योग से ही खुद को

निरोग रख रहीं नीलम सिंह

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हाथरस ब्लाक के रतनगढ़ी विद्यालय में तैनात 41 वर्षीय नीलम सिंह नियमित योग-प्राणायाम करते हुए आज योग शिक्षिका बन गई हैं। वे खुद को स्वस्थ रखने के साथ दूसरों को भी योग के जरिए फिट रहने के मंत्र देती हैं। योग के साथ खानपान पर भी विशेष ध्यान देती हैं। तली हुई मसालेदार खाद्य वस्तुओं से परहेज रखती हैं। उनका मानना है कि नियमित योग करने से शरीर फिट रहता है। दिनचर्या में योग के साथ प्राणायाम का भी उतना ही महत्व है। वे नियमित एक घंटे तक योग क्रियाएं करती हैं। बताती हैं कि संतुलित आहार के जरिए शरीर को फिट रखा जा सकता है। अपने खानपान में तला व भुना हुआ खाना नहीं लेती हैं। जंक फूड से भी परहेज करके अपने आपको फिट रखा जा सकता है। आज की पीढ़ी को योग शिक्षिका नीलम सिंह की सलाह है कि प्राकृतिक जीवन जीने के साथ खानपान भी प्राकृतिक रखें तो हमेसा निरोगी बने रहेंगे।

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