एक साल बाद अब बदल रही फिजा

वक्त के साथ बहुत कुछ बदलता है। इस बदलाव के बीच जिदगी को रफ्तार की एक जरूरत हर किसी को होती है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 14 Sep 2021 03:13 AM (IST) Updated:Tue, 14 Sep 2021 03:13 AM (IST)
एक साल बाद अब बदल रही फिजा
एक साल बाद अब बदल रही फिजा

केसी दरगड़ : हाथरस : वक्त के साथ बहुत कुछ बदलता है। इस बदलाव के बीच जिदगी को रफ्तार की एक जरूरत हर किसी को होती है। हाथरस के गांव बूलगढ़ी का यही हाल है। आज के ही दिन बिटिया पर हमले के बाद बिगड़े हालातों से पूरे देश में चर्चित हुए इस गांव में अब न तनाव है और न सन्नाटा। ठाकुर और अनुसूचित जाति के लोगों के बीच रिश्ते सुधरने लगे हैं। हर रोज हालचाल जानते लोगों का विश्वास बदली फिजा की गवाही दे रहे हैं। जो कुछ हुआ, उसका मलाल हर किसी को है।

आगरा रोड पर चंदपा थाने से दो किलोमीटर दूर बसे इस गांव को भला कौन भूल सकता है। इस छोटे से गांव की पिछले साल 14 सितंबर को बिटिया पर हमले के बाद देश में बड़ी पहचान बन गई। 29 सितंबर को जब बिटिया ने अंतिम सांस ली तो पूरे देश में उबाल था। इस पर गरमाई सियासत ने आग में घी का काम किया। पूरे गांव में सन्नाटा करीब दो महीने में टूटा, लेकिन तनाव धीरे-धीरे कम हुआ है। दलित समाज की बिटिया इसी गांव की थी। हमले के ठाकुर परिवारों के आरोपित चारों युवक भी इसी गांव के हैं, जो तभी से जेल में हैं। इनके घर अधिक दूरी पर नहीं हैं। गुजरे दिनों की बातों पर गांव के लोग अब अधिक बात करने को तैयार नहीं होते। गांव के महावीर प्रसाद ने उल्टा सवाल कर डाला। बोले-गांव में अब फिर घूमो। बात करो। यहां के लोग एक दूसरे के काम आ रहे हैं। इस घटना को लेकर जितना हो हल्ला हुआ, वह रोका जा सकता था, मगर सियासत के बीज ऐसे बोए गए कि उसकी फसल अभी तक नहीं बटोर पा रहे हैं। इससे गांव के ही दलवीर सिंह पूरी तरह सहमत थे। बोले, अनावश्यक तूल दिया गया। गांव में पहले और आज भी माहौल ठीक हैं। आज भी लोग एक दूसरे के काम आ रहे हैं। इस बदली फिजा का श्रेय प्रवीन पचौरी गांव के ही लोगों को देते हैं। उनका कहना था कि अब कोई नेता नहीं आता। जब तक आए, तब तक हंगामा रहा। माहौल तो गांव के लोगों ने ठीक किया। चाहे धान की पौध लगाने का काम हो या फिर और कोई हो। रोजी रोटी एक दूसरे जुड़ी हुई है। गांव के लोग नहीं चाहते कि कोई विवाद हो। हमले वाले खेत के हिस्से

में अभी भी फसल नहीं

गांव बूलगढ़ी, बघना ग्राम पंचायत का हिस्सा है। इसकी आबादी लगभग 1800 है। गांव के मुख्य द्वार पर अब आम दिनों की तरह शांति दिखाई देती है, वहां बिल्डिग मैटेरियल की दुकान पर आम दिनों जैसी चहल पहल जरूर दिखती है। यहां से करीब डेढ़ किलोमीटर भीतर गांव बूलगढ़ी है। इसी रास्ते पर गांव से आधा किलोमीटर पहले वह खेत पड़ता है, जहां घटना हुई थी। इस खेत में बाजरा की ही फसल खड़ी है। जहां घटना हुई है वह स्थान आज भी खाली है। वहां से थोड़ा आगे गांव में जाने पर खामोशी नजर आती है। कुछ कदम आगे चलने पर मृतका के घर के सामने सीआरपीएफ के दो जवान खड़े दिखाई देते हैं। बिटिया का घर पार करने के बाद एक रास्ता स्कूल की ओर और दूसरा रास्ता गांव के भीतर जाता है। स्कूल की ओर जाने वाले रास्ते पर कुछ लोग आपस में बतियाते नजर आए। जगह-जगह बैठे महिला-पुरुष आम दिनों की तरह अपनी दिनचर्या में मशगूल थे। इनमें शामिल गांव बघना के डा. राजवीर सिंह का कहना था कि क्षेत्र में सब कुछ ठीक चल रहा है। लोग पहले की तरह एक दूसरे के काम आ रहे हैं। प्रधानी के चुनाव में दिए थे वोट

गांव के लोग बताते हैं कि गांव में लोकतंत्र आज भी दिखाई देता है। पंचायत चुनाव हो या फिर एमएलए और एमपी का चुनाव, गांव के वोट प्राथमिक विद्यालय में ही पड़ते हैं। अप्रैल में जब प्रधानी के चुनाव हुए थे तब गांव के स्कूल में ही वोट पड़े थे। बिटिया के परिवार के अलावा सभी ने खुलकर मतदान किया था। यह बात अलग है कि प्रधानी बघना के खाते में चली गई। बूलगढ़ी कांड की टाइम लाइन

14 सितंबर : सुबह साढ़े नौ बजे खेत पर घास काटते समय युवती पर हुआ हमला। धारा 307 व एससी-एसटी अधिनियम में संदीप पर दर्ज किया मुकद्दमा, जांच सीओ सादाबाद को सौंपी।

29 सितंबर: सुबह पीड़िता ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में अंतिम सांस ली।

29 सितंबर : रात में ढाई बजे बवाल के बीच मृतका का अंतिम संस्कार किया गया

30 सितंबर : शाम को मुख्यमंत्री ने पिता से की वार्ता 25 लाख की सहायता, आवास व सरकारी नौकरी का आश्वासन।

30 सितंबर : एसआइटी का गठन। टीम सदस्य गृहसचिव भगवत स्वरूप, पुलिस उपनिरीक्षक चंद्र प्रकाश व सेनानायक पीएसी पूनम हाथरस पहुंचे

एक अक्टूबर: गांव आ रहे राहुल-प्रियंका को नोएडा एक्सप्रेस वे से लौटाया।

दो अक्टूबर: एसआइटी की पहली रिपोर्ट पर एसपी, डीएसपी कोतवाल समेत पांच सस्पेंड पुलिसकर्मी हुए सस्पेंड।

तीन अक्टूबर: गांव पहुंचे अपर प्रमुख सचिव व डीजीपी, सीबीआइ जांच की संस्तुति।

तीन अक्टूबर: मृतका के घर पहुंचे राहुल-प्रियंका। स्वजन से की बंद कमरे में बातचीत।

चार अक्टूबर : रालोद राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी व रालोद, सपा कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज।

पांच अक्टूबर : आप सांसद संजय सिंह पर फेंकी गई स्याही, पथराव-लाठीचार्ज।

पांच अक्टूबर: चंदपा कोतवाली में राष्ट्रद्रोह समेत बीस संगीन धाराओं में अभियोग दर्ज।

आठ अक्टूबर: आरोपित संदीप ने एसपी के नाम जेल से लिखी पाती।

आठ अक्टूबर: श्यौराज जीवन को हिरासत में लेकर तीन घंटे पूछताछ।

11 अक्टूबर: सीबीआइ ने गाजियाबाद मे दर्ज किया पहला अभियोग, जांच को हाथरस पहुंची।

12 अक्टूबर: स्वजन की हाइकोर्ट की खंडपीठ में पेशी, प्रशासन ने रखा अपना पक्ष।

16 अक्टूबर: एसआइटी ने अपनी जांच 16 दिन में पूरी कर रिपोर्ट सौंप दी।

18 दिसंबर: को सीबीआई ने 67 दिन में जांच पड़ताल करने के बाद दो हजार पन्नों की चार्जशीट विशेष न्यायालय में दाखिल कर दी।

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