नौ महीने से तैनात हैं 80 सीआरपीएफ जवान
घटना के बाद सियासत गर्माई तो बिटिया के स्वजन की सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ के 80 जवानों की बटालियन को यहां तैनात कर दया गया। तब से जवान पहरे पर रहते हैं।
योगेश शर्मा, हाथरस : घटना के बाद सियासत गर्माई तो बिटिया के स्वजन की सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ के 80 जवानों की बटालियन को यहां तैनात कर दया गया। तब से जवान पहरे पर रहते हैं।
नवंबर 2020 में सीआरपीएफ को बूलगढ़ी में तैनात किया गया था। 80 जवान तीन शिफ्ट पर मुस्तैद रहते हैं। इनमें कुछ जवान घर की ओर जाने वाले मुख्य गेट पर, कुछ की ड्यूटी मकान के गेट और कुछ की ड्यूटी बिटिया के घर की छत पर रहती है। आठ सीसीटीवी कैमरों के जरिए निगरानी रखी जा रही है।
सीआरपीएफ ने अपना एक कैंप चंदपा के जीएल इंटर कालेज में बना लिया है। इस पर सीआरपीएफ के डे इंचार्ज का कहना है कि सरकार से निर्देश मिलने के बाद ही यहां से जाने का कोई निर्णय होगा। बाकी पर लिया पीड़ित का खेत
गांव में ठाकुर और अनुसूचित जाति के बीच खिची दीवारें ढहने लगी हैं। अब वह पाले नजर नहीं आते हैं। अनुसूचित जाति के लोग दूसरे समाज के लोगों के खेतों में काम करते नजर आए। मृतका के पिता का पांच बीघा खेत गांव के ही जगदीश शर्मा ने बाकी पर ले रखा है। अब इस खेत में बाजरा की फसल खड़ी है। अब बस यादें बची हैं
बिटिया की बात शुरू होते ही पिता की आंखें भर आईं और बोले, 'अब क्या बचा है। हमारी हंसती-खेलती बिटिया चली गई। बिटिया घर में सबसे अलग थी। आंगन में उसी ने तुलसी का पौधा लगया था, जो अब उसकी याद से जु़ड़ा है। उसकी आत्मा अभी भी इंसाफ के लिए भटक रही है। हमें पूरी उम्मीद है कि इंसाफ जरूर मिलेगा।' आंगन में चारपाई पर बैठे स्वजन और जमीन पर बैठी बिटिया की मां की आंखें भी भर आईं। बोलीं- 'अगर कोई बदला लेना ही था तो हम बड़ों से लेते। बिटिया धार्मिक प्रवृत्ति की थी। प्याज, लहसुन, अंडे तक का सेवन नहीं करती थी। नवरात्र का व्रत रखती थी। अब उसकी यादें शेष रह गई हैं।' पास ही मौजूद बिटिया के बड़े भाई का कहना था कि जब भी उस खेत के पास से होकर गुजरते हैं तो डर लगने लगता है। छोटे भाई का कहना था कि सरकार और प्रशासन ने बहन की मौत के बाद भरोसा दिया था कि घर के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और सरकारी आवास दिलाएंगे मगर आज तक न तो नौकरी मिली और न आवास। ----------------- मुकदमे की पैरवी को किसी ने कर्ज लिया तो किसी ने खेत गिरवी रखा
युवती की हत्या के आरोप में जेल गए चारों आरोपितों के स्वजन को भरोसा है कि इंसाफ जरूर मिलेगा। आरोपितों की पैरवी के लिए किसी ने खेत गिरवी रखा है तो किसी ने कर्ज लिया है। आरोपित रामू के पिता राकेश सिंह ने बताया कि उन्हें कोर्ट पर पूरा भरोसा है। बच्चों को गलत फंसाया गया है। पैरवी के लिए कर्ज लिया है। अधिक बड़ा खेत नहीं है। खर्चा काफी हो रहा है। रवि के पिता अतर सिंह का कहना था कि घटना के कई दिन बाद हमारे बच्चों की नामजदगी हुई थी। उनकी रिहाई के लिए हम पूरी ताकत के साथ लड़ रहे हैं। उम्मीद है कि जल्द ही हमें इंसाफ मिलेगा। हालांकि बेटे से मुलाकात नहीं हो पा रही है। लवकुश की मां मुन्नी देवी ने बताया कि केस लड़ने को खेत गिरवी रख दिया है। कर्ज भी हो गया है। अब तो कोर्ट पर भरोसा है। चौकीदार के रूप में काम करने वाले उसके पिता रामवीर सिंह ने बताया कि इस मामले से हम उबर नहीं पा रहे हैं। बेटी का रिश्ता भी नहीं कर पा रहे हैं। आर्थिक तंगी बढ़ी है। अब हमने सोच लिया है जब लवकुश जेल से छूटकर आ जाएगा तभी बेटी के हाथ पीले करेंगे। संदीप के पिता गुड्डू सिंह ने बताया कि हमारे वकील केस को पूरी दमदारी से लड़ रहे हैं। न्याय मिलेगा।